कपास की MSP में कटौती की मांग, व्यापारियों ने कहा- कीमतों में बंद हो सरकारी हस्तक्षेप

कपास की MSP में कटौती की मांग, व्यापारियों ने कहा- कीमतों में बंद हो सरकारी हस्तक्षेप

गुजरात में कपास व्यापारियों और संघों ने कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को कम करने की मांग की है. कपास के लिए 2024-2025 का एमएसपी मध्यम और लंबे स्टेपल किस्मों के लिए क्रमशः 7121 रुपये प्रति क्विंटल और 7521 रुपये प्रति क्विंटल है.

कपास की MSPकपास की MSP
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 27, 2024,
  • Updated Dec 27, 2024, 3:46 PM IST

सफेद सोना कही जाने वाली फसल कपास के निर्यात में गिरावट और आयात में बढ़ोतरी हुई है. इसी बीच गुजरात में कपास व्यापारियों और संघों ने कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को कम करने की मांग की है. गुजकोट व्यापार संघ के सचिव अजय शाह के अनुसार, यदि कपास की एमएसपी यही रही, तो यह कपास क्षेत्र और कपड़ा उद्योग के लिए एक और खराब संकेत हो सकता है. व्यापारियों ने यह मांग ऐसे समय में उठाई है जब देश से कपास का निर्यात घटा है और आयात में तेजी देखी गई है. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि एमएसपी अधिक होने से घरेलू मार्केट में कपास के दाम अधिक है. ऐसे में व्यापारी सस्ते में कपास का आयात करना ज्यादा मुनासिब समझ रहे हैं.  

किसानों को दी जाए अधिक सब्सिडी

अजय शाह ने कहा कि कपास के लिए मुक्त बाजार व्यवस्था लागू की जाए. यानी इसमें सरकार का हस्तक्षेप ना हो और किसानों को अधिक सब्सिडी दी जाए. एमएसपी व्यवस्था सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसल पहले से तय लाभकारी मूल्य पर खरीद कर समर्थन देने के लिए लागू की जाती है.

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कपास का न्यूनतम समर्थन मूल्य

कपास के लिए 2024-2025 का एमएसपी मध्यम और लंबे स्टेपल किस्मों के लिए क्रमशः 7121 रुपये प्रति क्विंटल और 7521 रुपये प्रति क्विंटल है. कपास के इस दाम ने व्यापारियों और मिलों के सामने चुनौतियों को बढ़ा दिया है, जो पहले से ही वैश्विक बाजार में व्यापार के मुकाबले में बने रहने के लिए जूझ रहे हैं.

व्यापारी बढ़ी हुई एमएसपी से परेशान

‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ से बात करते हुए अजय शाह ने कहा कि दिसंबर 2024 तक हमारा अनुमान है कि सरकार ने किसानों से लगभग 60 फीसदी कपास स्टॉक खरीदा है. वहीं, निजी व्यापारी बढ़ी हुई एमएसपी होने के कारण कम स्टॉक खरीद रहे हैं. इसके बजाय  कई कंपनियां ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, पश्चिमी अफ्रीकी क्षेत्रों और यूएसए जैसे देशों से कपास खरीद रही हैं, जो भारत के एमएसपी की तुलना में कम है.

सरकार से MSP कर करने की मांग

अभी वैश्विक स्थिति ऐसी ही कि भारत के कपास की बिक्री विदेशों में बढ़नी चाहिए थी क्योंकि डॉलर के मुकाबले रुपये की स्थिति कमजोर है. ऐसा देखा जाता है कि जब मुद्रा यानी कि करेंसी कमजोर होती है तो निर्यात को बढ़ावा मिलता है क्योंकि विदेशी खरीदार सस्ते में खरीद करना चाहते हैं. लेकिन अभी कमजोर करेंसी का फायदा देश के कपास को इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि घरेलू बाजार में इसका रेट अधिक है. व्यापारियों का कहना है कि सरकार अगर एमएसपी घटाए तभी जाकर कपास का दाम गिरेगा और ऐसे में वे घरेलू कपास की खरीद कर सकेंगे.

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