किसानों की सब्जियों और फलों की निर्यात मात्रा बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार प्रोटोकॉल बना रही है. इस प्रोटोकॉल में सरकार वैज्ञानिक तरीके से फलों के पकने, फसल तैयार होने या सब्जियों के तैयार होने और निर्यात के बाद बिक्री समय के दौरान उसकी क्वालिटी बेहतर रखने आदि गतिविधियों को समझ रही है. इसके साथ ही किसानों को निर्यात के लिए फसल रखरखाव संबंधी ट्रेनिंग भी देना प्रोटोकॉल का हिस्सा है.
एग्रीकल्चर एंड प्रॉसेसिंग फूड प्रोडक्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी एपीडा के आंकड़ों के अनुसार 2022-23 के दौरान भारत ने 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की फल और सब्जियों का निर्यात किया है. आंकड़े बताते हैं कि भारत ने 13,185 करोड़ रुपये की ताजा सब्जियों का निर्यात किया है. जबकि, 6,219.46 करोड़ रुपये के ताजे फलों का निर्यात किया है. सरकार इस निर्यात अनुपात को आने वाले वर्षों में दोगुना से अधिक करना चाहती है. इसके लिए निर्यात प्रोटोकॉल विकसित किया जा रहा है.
केंद्र सरकार केला, आम, अनार, पपीता के अलावा सब्जियों में अदरक, आलू, प्याज समेत कई अन्य तरह के फल और सब्जियों का निर्यात कई देशों को करता है. सरकार निर्यात मात्रा बढ़ाने को लेकर काफी गंभीर है. क्योंकि, इससे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी का रास्ता साफ हो जाएगा. वर्तमान में इन फलों और सब्जियों की कम मात्रा निर्यात की जाती है और अलग-अलग समय में पकने के कारण हवाई मार्ग से निर्यात किया जाता है. सरकार इन फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाकर समुद्री मार्ग से निर्यात करने पर जोर दे रही है.
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार सरकार फलों और सब्जियों का निर्यात समुद्री मार्ग से करने पर जोर दे रही है. इसी के चलते प्रोटोकॉल पर काम किया जा रहा है, ताकि फलों, सब्जियों के पकने या तैयार होने में लगने वाले समय की सटीकता की पहचान हो सके. इसके लिए किसानों को ट्रेनिंग देने की योजना भी है. निर्यात बढ़ने से किसानों से खरीद बढ़ जाएगी, जो उनकी आय को बढ़ाने में मददगार साबित होगी.
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समुद्री मार्ग से निर्यात से लागत में कटौती का फायदा मिलेगा तो वहीं सामग्री मात्रा भी बढ़ जाएगी. कहा गया है कि जो फल या सब्जी की लाइफ कम है या जिनके जल्दी खराब होने का खतरा रहता है उन्हें फिलहाल हवाई मार्ग से निर्यात किया जा रहा है. अब यह कोशिश की जा रही है कि कृषि प्रोडक्ट को समुद्री मार्ग के जरिए निर्यात करने पर काम किया जा रहा है और इसीलिए निर्यात सामग्री के लिए समुद्री प्रोटोकॉल बनाया जा रहा है.