इस साल 20 प्रतिशत इथेनॉल का लक्ष्‍य, किसानों को अच्‍छी पैदावार वाले मक्‍का के बीज बांट रहा IIMR

इस साल 20 प्रतिशत इथेनॉल का लक्ष्‍य, किसानों को अच्‍छी पैदावार वाले मक्‍का के बीज बांट रहा IIMR

देश में पेट्रोल के आयात की निर्भरता कम करने के लिए इथेनॉल के मिश्रण वाले पेट्रोल का बढ़ावा दे रही है. इसके लिए गन्‍ना, चावल और मक्‍के से इथेनॉल बनाया जा रहा है. हालांकि, सरकार का सबसे ज्‍यादा फोकस मक्‍का से इथेनॉल के उत्‍पादन पर है. इस साल 20 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्‍य रखा गया है.

इथेनॉल के लिए मक्‍के की खेती को दिया जा रहा बढ़ावा.इथेनॉल के लिए मक्‍के की खेती को दिया जा रहा बढ़ावा.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 07, 2025,
  • Updated Jan 07, 2025, 10:45 AM IST

किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार उन्‍हें अन्‍नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता बनाने का काम कर रही है. दरअसल, सरकार देश में पेट्रोल का आयात कम कर इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) के इस्‍तेमाल पर जोर दे रही है. इसके लिए देश में इथेनॉल का उत्‍पादन बढ़ाया जा रहा है. अब तक पेट्रोल में 12 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य पूरा हो गया है, जबक‍ि 2025 तक इसे 20 प्रतिशत तक ले जाया जाना है. ऐसे होने से पेट्रोल के आयात पर जो पैसा खर्च हो रहा है, उसमें कमी आएगी और पैसा देश में ही रहेगा, जिससे यहां के किसानों को उसका लाभ मिलेगा. इसल‍िए सरकार न स‍िर्फ गन्ने, बल्क‍ि चावल और मक्का से भी इथेनॉल बनाने पर जोर दे रही है. इसके लिए किसानों को अच्‍छी पैदावार वाले बीज उपलब्‍ध कराए जा रहे हैं.

IIMR संभाल रहा प्रोजेक्‍ट की कमान

गन्ना और चावल की खेती में अध‍िक पानी खर्च होता है, जबक‍ि मक्के की खेती में कम पानी खर्च होता है. इसल‍िए सरकार मक्के से इथेनॉल बनाने पर जोर दे रही है. इसील‍िए 'इथेनॉल उद्योगों के जलग्रहण क्षेत्र में मक्का उत्पादन में वृद्धि' नाम से प्रोजेक्ट शुरू क‍िया है, ज‍िसकी ज‍िम्मेदारी आईसीएआर के अधीन आने वाले भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) को दी गई है. इस प्रोजेक्‍ट के तहत मक्का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है.

किसानों को बांटे जा रहे उच्‍च पैदावार वाले बीज

इस प्रोजेक्ट का नेतृत्‍व कर रहे आईआईएमआर के वर‍िष्ठ वैज्ञान‍िक डॉ. एसएल जाट का कहना है क‍ि इथेनॉल के ल‍िए मक्का उत्पादन बढ़ाने की इस मुह‍िम में एफपीओ, किसान, डिस्टिलरी और बीज उद्योग को साथ लेकर काम क‍िया जा रहा है. प्रोजेक्‍ट के तहत क‍िसानों को ज्यादा पैदावार देने वाली क‍िस्मों के बीज बांटे जा रहे हैं. इस प्रोजेक्ट के तहत खरीफ और रबी सीजन में म‍िलाकर 1508 एकड़ में मक्का की बुवाई करके क‍िसानों को इसकी खेती बढ़ाने के ल‍िए प्रेर‍ित क‍िया गया है, हालांक‍ि वर्षवार लक्ष्य 1500 एकड़ का ही था. 

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प्रोजेक्ट में क‍ितना काम हुआ 

डॉ. एसएल जाट ने बताया क‍ि इस प्रोजेक्ट का मकसद वर्तमान दौर में क‍िसानों को मक्के की खेती के फायदे को बताना और इथेनॉल के ल‍िए उत्पादन बढ़ाना है. अभी जो हालात बन रहे हैं, इसमें यकीनन मक्का की खेती क‍िसानों को अच्छा प्रॉफ‍िट देगी. इस प्रोजेक्ट के तहत खरीफ सीजन में 788 एकड़ में मक्का की खेती की गई थी, जिसमें डेमो की संख्या 808 थी. इसके तहत 20 ट्रेन‍िंग कैंप आयोजित किए गए, ज‍िनमें अलग-अलग क्षेत्रों के 425 क‍िसान शामिल हुए. वहीं, 67 जागरूकता कार्यक्रम आयोज‍ित क‍िए गए, ज‍िनमें 1508 क‍िसानों ने श‍िरकत की. 

रबी सीजन में इस प्रोजेक्ट के तहत 720 एकड़ में मक्का की बुवाई का लक्ष्य था, जबक‍ि 672 में बुवाई की गई. इसके तहत 35 ट्रेन‍िंग कार्यक्रम क‍िए गए, ज‍िनमें 897 क‍िसान शामिल हुए और 43 जागरूकता कार्यक्रमों में 1500 से अध‍िक क‍िसान शामिल हुए. कुल म‍िलाकर खरीफ और रबी सीजन म‍िलाकर इस प्रोजेक्ट के तहत 1508 एकड़ में मक्का की बुचाई हुई. जाट ने बताया क‍ि इथेनॉल बनाने में मक्का का योगदान बढ़ रहा है. इसकी खेती प्रकृत‍ि को नुकसान नहीं पहुंचाती है, इसल‍िए सरकार इसके उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है. 

इथेनॉल में मक्के का योगदान

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल  इथेनॉल बनाने के लिए लगभग 60 लाख टन मक्का का उपयोग किया गया. तेल मार्केट‍िंग कंपनियों ने इथेनॉल आपूर्ति वर्ष (ESY) 2024-25 के लिए लगभग 837 करोड़ लीटर इथेनॉल आवंटित किया है, ज‍िसमें मक्का की हिस्सेदारी सबसे ज्‍यादा 51.52 प्रतिशत (लगभग 431.1 करोड़ लीटर) की है. मक्के से इथेनाल बनाने को बढ़ावा देने के ल‍िए केंद्र सरकार कोश‍िश कर रही है. इसके तहत ऐसे क्षेत्रों में मक्का की खेती को बढ़ावा द‍िया जा रहा है, जहां इसके ल‍िए अच्छी पर‍िस्थ‍ितियां मौजूद हैं फ‍िर भी क‍िसान इसकी खेती नहीं करते थे.

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