किसान आंदोलन के दबाव में हरियाणा सरकार ने आनन-फानन में गन्ने का भाव प्रति क्विंटल 10 रुपये बढ़ा दिया है. लेकिन, इससे किसानों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है. आंदोलनकारियों ने इसे नाकाफी बताते हुए आंदोलन जारी रखने का फैसला लिया है. भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप ने कहा है कि सरकार के विरोध में जो पहले से तय कार्यक्रम हैं उसे रोका नहीं जाएगा. दाम बढ़ाने के बावजूद बुधवार को किसानों ने कई शहरों में सरकार के खिलाफ सांकेतिक तौर पर ट्रैक्टर रैली निकाली. दाम 450 रुपये प्रति क्विंटल न करने के खिलाफ नारेबाजी की और पुतला फूंका.
यूनियन ने कहा है कि किसान 26 जनवरी को चीनी मिलों के बाहर गन्ने की होली जलाएंगे. इसी तरह 27 को मिलों के बाहर की सड़क को जाम किया जाएगा और 29 जनवरी को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की गोहाना में होने वाली रैली में जाकर सीएम खट्टर का विरोध करेंगे. उधर, गन्ना सप्लाई रोकने की वजह से कई दिन से चीनी मिलें बंद हैं. इससे सरकार दबाव में है. अब दाम बढ़ाने के बाद सरकार ने गन्ना सप्लाई बहाल करने की अपील की है, ताकि मिलों का संचालन हो सके.
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यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि गन्ने का शर्मनाक रेट बढ़ाया गया है. मनोहरलाल खट्टर ने मात्र 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि करने घोषणा की है. इसका हम कड़ा विरोध करते हैं और सरकार की निंदा करते हैं. ये किसान विरोधी सरकार है. जैसे पहले प्रोग्राम दिए गए थे वैसे ही प्रोग्राम जारी रहेंगे. कल 26 जनवरी को 11 बजे सभी शुगर मिलों से जुड़े पांच-पांच प्रतिनिधि सैनी धर्मशाला कुरुक्षेत्र में 11 बजे पहुंचेंगे. यहां पर अगला निर्णय लिया जाएगा.
किसान आंदोलन के दबाव में दाम बढ़ाने के बाद अब यहां किसानों को 372 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिलेगा. यह पंजाब से कम है. किसान महंगाई को देखते हुए 450 रुपये प्रति क्विंटल का दाम मांग रहे हैं. हरियाणा में 16 चीनी मिलें हैं. दाम बढ़ाने की मांग को लेकर किसान उनमें गन्ना नहीं दे रहे हैं. इसलिए मिलों में कामकाज बंद है. इसीलिए, गन्ना मूल्य निर्धारण कमेटी ने आनन-फानन में सरकार को रिपोर्ट दी और दाम में 10 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा कर दिया गया.
हरियाणा की चीनी मिलों के करीब 5300 करोड़ रुपये घाटे में रहने को लेकर जब चढूनी से प्रतिक्रिया ली गई तो उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि क्या यह घाटा किसानों की वजह से है? घाटे के लिए सरकार जिम्मेदार है. उससे वो निपटे. किसानों की खेती की लागत बढ़ रही है उसके हिसाब से दाम मिलना चाहिए. पेट्रोल का दाम 100 रुपये हो गया है तो फिर इथेनॉल का कम क्यों है. इथेनॉल का दाम भी बढ़ा दीजिए. दूसरे उपाय भी खोजिए. लेकिन घाटा पूरा करने के लिए किसानों की जेब मत काटिए.
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