सहारनपुर के किसान ने खड़ी फसल पर चलाया ट्रैक्टर, कई बीघे में गोभी की फसल की नष्ट

सहारनपुर के किसान ने खड़ी फसल पर चलाया ट्रैक्टर, कई बीघे में गोभी की फसल की नष्ट

सहारनपुर क्षेत्र को सब्जी उत्पादन का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां से हर साल हजारों टन ताजी सब्जियां अलग-अलग राज्यों में भेजी जाती है. फसल पर ट्रैक्टर चलाने वाले किसान का कहना है कि फूलगोभी की शुरुआती फसल के दाम अच्छे थे, लेकिन पछेती फसल के लिए बाजार में भाव बेहद गिर गए. हालत यह हो गई कि 2 से 3 रुपये प्रति किलो के भाव पर भी गोभी नहीं बिक रही. इससे परेशान होकर किसानों को अपनी फसल खेतों में ही नष्ट करनी पड़ी.

farmer Rashidfarmer Rashid
राहुल कुमार
  • Saharanpur,
  • Mar 04, 2025,
  • Updated Mar 04, 2025, 7:47 PM IST

सहारनपुर में पत्ता गोभी और फूलगोभी की कीमतों में आई भारी गिरावट से किसान बेहद निराश हैं. उचित दाम न मिलने के कारण गंगोह क्षेत्र में किसान ने अपनी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. किसान ने बताया कि गोभी के अच्छे दाम नहीं मिलने से वे आर्थिक संकट में फंस गए हैं.

सहारनपुर क्षेत्र को सब्जी उत्पादन का प्रमुख केंद्र माना जाता है. यहां से हर साल हजारों टन ताजी सब्जियां अलग-अलग राज्यों में भेजी जाती है. फसल पर ट्रैक्टर चलाने वाले किसान का कहना है कि फूलगोभी की शुरुआती फसल के दाम अच्छे थे, लेकिन पछेती फसल के लिए बाजार में भाव बेहद गिर गए. हालत यह हो गई कि 2 से 3 रुपये प्रति किलो के भाव पर भी गोभी नहीं बिक रही. इससे परेशान होकर किसानों को अपनी फसल खेतों में ही नष्ट करनी पड़ी.

गंगोह के किसान हैं राशिद

गंगोह के किसान साजिद ने पांच बीघा खेत ठेके पर लेकर फूलगोभी उगाई थी, लेकिन नुकसान झेलने के कारण पूरी फसल पर ट्रैक्टर चला दिया. वहीं, पांच बीघा पत्ता गोभी और चार बीघा फूलगोभी लगाई थी, लेकिन बाजार में उचित दाम न मिलने पर उन्होंने भी अपनी फसल बर्बाद करनी पड़ी.

ये भी पढ़ें: बदलते मौसम में ध्यान रखें किसान, फसलों को बचाने के लिए इन खादों का इस्तेमाल जरूरी

किसान मोहम्मद राशिद ने बताया कि तीन महीने से गोभी का कोई सही रेट नहीं मिल रहा है. उन्होंने कहा, "1 से 2 रुपये किलो के रेट पर गोभी बेचना संभव नहीं. पन्नी का ही 25 से 30 रुपये खर्चा आ रहा है, जबकि खेत से मंडी तक पहुंचाने में ही 50 रुपये का खर्च आ जाता है. हमने पहले ही 5 बीघा की फसल नष्ट कर दी थी, अब 6 बीघा और नष्ट करनी पड़ी. कुल 15 बीघा में गोभी उगाई थी, जिसमें 70 से 80 हजार रुपये का नुकसान हुआ है.

सब्जी की खेती छोड़ने का विचार

गंगोह के कई किसान अब सब्जी की खेती छोड़ने की सोच रहे हैं. 15 साल से खेती कर रहे किसान राशिद ने कहा कि पहले भी प्राकृतिक आपदाओं की वजह से नुकसान हुआ था, लेकिन अब बाजार में सही दाम न मिलने से हालात और खराब हो गए हैं. उन्होंने सरकार से आर्थिक सहायता और उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की मांग की है.

किसान ने सरकार से मांग की है कि उन्हें आर्थिक मदद दी जाए ताकि वे दोबारा खेती कर सकें. अगर इसी तरह हालात रहे, तो किसान मजबूरी में कृषि छोड़ने पर विवश हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना चाहिए और किसानों को सही दाम दिलाने के लिए बिचौलियों की भूमिका कम करनी चाहिए.

ये भी पढ़ें: सस्ते में खरीदें ब्रोकली के पूसा पर्पल-1 किस्म के बीज, ऑनलाइन मंगवाने का जान लें तरीका

किसान मोहम्मद राशिद कहते हैं, लगभग पिछले 3 महीने से गोभी का कुछ भी रेट नहीं है. 1 से 2 रुपये किलो रेट चल रहा है. 25 से 30 रुपये पन्नी का रेट है. एक पन्नी पर 50 रुपये का तो खर्चा ही आ जाता है, खेत से भरने से लेकर मंडी तक पहुंचने तक का. हम पहले 5 बीघा खेत में फसल खत्म कर चुके हैं. अब 6 बीघा खेत है और 400 से 500 रुपये बीज का पैकेट है. 80 पैसे का एक पौधा पड़ता है, 6 से 7000 बीघा की लागत लगाने के बावजूद गोभी को मंडी तक ले जाने का खर्चा भी नहीं आ रहा है. हम पहले 5 बीघा जमीन की फसल नष्ट कर चुके हैं. 

लागत निकालना भी मुश्किल

किसान राशिद ने कहा, हमारे पास टोटल 15 बीघा गोभी थी. हमारे मिलने जुलने वाले किसान भी हैं जिन्होंने 5-5 बीघा जमीन की गोभी खत्म कर दी. हमें कम से कम 70 से 80 हजार रुपये का नुकसान है. 10 बीघा में 6 से 7000 की लागत लागत है. हम 15 साल से गोभी और आलू की खेती कर रहे हैं. हम सब्जी से जुड़े हुए किसान हैं. हमारा पहले भी प्राकृतिक आपदा की वजह से काफी नुकसान हुआ. सरकार को यही देखना चाहिए किसानों के लिए की थोड़ी आर्थिक मदद हो जाए.

 

MORE NEWS

Read more!