
पंजाब और हरियाणा में धान की खरीद जारी है लेकिन अब खरीद प्रक्रिया में हेराफेरी के मामले सामने आ रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता गुरुनाम सिंह चढ़ूनी ने ऐसे ही मामलों को लेकर सरकार से सीबीआई जांच तक की अपील कर डाली है. आपको बता दें कि हरियाणा ने किसानों के लिए मंडियों में गेट पास अनिवार्य कर दिया है ताकि उत्तर प्रदेश या दूसरे राज्यों के किसानों की एंट्री बंद हो सके. चढ़ूनी ने कहा है कि धान खरीद प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं और हेराफेरी के मामले उजागर हुए हैं. ऐसे में सीबीआई जांच की जरूरत है.
उनका कहना था कि धान खरीद नीति के बिंदु नंबर 14 के अनुसार मंडी से बाहर जाने वाली गाड़ियों का वजन मंडी के काटों पर लिया जाना अनिवार्य था. मिलीभगत के कारण यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई और जाली काटों का प्रयोग किया गया. इसका मकसद जे-फार्म की सप्लाई के दौरान खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों द्वारा गेट पास जारी करते समय वास्तविक तौल को नजरअंदाज करना और पोर्टल पर मनमाने आंकड़े भरना था. उन्होंने कहा कि इससे मंडी से बाहर जाने वाले धान का कोई प्रमाण नहीं बन पाया और शैलर मालिक बाकी राज्यों से मंगाए गए धान को सरकारी धान में शामिल करने में सफल हो गए. दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है.
उनका कहना था कि आउटगोइंग गेट पास भी मंडी गेट पर गाड़ियों को देखकर नहीं बल्कि ऑफिस या अन्य जगहों से लगभग एक ही कंप्यूटर से जारी किए जा रहे हैं. गेट पास जारी करने वाले कंप्यूटर की लोकेशन की जांच से यह स्पष्ट होता है कि यह एक संगठित और योजनाबद्ध घोटाला है. यह न केवल सरकारी धान की हेराफेरी का उदाहरण है बल्कि साक्ष्य छिपाने का गंभीर प्रयास भी है, जो सी.बी.आई. जांच का मजबूत आधार प्रदान करता है.
बीकेयू के बैनर तले किसान धान की खरीद, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी ), और यूपी और दूसरे राज्यों से धान की आवक को एडजस्ट करने के लिए अनाज मंडियों में भ्रष्टाचार से जुड़े मुद्दों पर खरीद एजेंसियों, राइस मिलर्स, आढ़तियों और मार्केट कमेटियों के अधिकारियों के साथ आमने-सामने हैं. चढ़ूनी ने पिछले दिनों हरियाणा की अनाज मंडियों का दौरा किया था. उन्होंने यहां पर अधिकारियों, राइस मिलर्स पर धान की खरीद में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का आरोप लगाया. उनका कहना था कि उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों से धान गैर-कानूनी तरीके से हरियाणा में लाया जा रहा है. इस धान को लोकल अनाज मंडियों में ज्यादा दामों पर बेचा जा रहा है. उनकी मानें तो एमएसनी खरीद के तहत इसे लोकल उपज के तौर पर दिखाया जा रहा है.
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