
भारत में ताड़ के तेल (ऑयल पाम) की खेती तेजी से विस्तार कर रही है. चालू वित्त वर्ष 2025-26 में अब तक 52,113 हेक्टेयर नई भूमि पर ऑयल पाम की बुवाई की जा चुकी है. इसमें सबसे अधिक विस्तार तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में हुआ है. कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 22 अक्टूबर तक की स्थिति के अनुसार देश में ऑयल पाम खेती का रकबा लगातार बढ़ रहा है. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन–ऑयल पाम (NMEO-OP) के तहत अगस्त 2021 में योजना शुरू होने के बाद से अब तक कुल 2,41,000 हेक्टेयर भूमि इस मिशन के अंतर्गत लाई जा चुकी है. पूरे देश में ऑयल पाम की खेती का क्षेत्रफल अब 6 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है.
इस साल आंध्र प्रदेश में 13,286 हेक्टेयर और तेलंगाना में 12,005 हेक्टेयर नई भूमि पर ऑयल पाम लगाया गया है. इसके अलावा छत्तीसगढ़, गोवा और गुजरात जैसे राज्यों में भी खेती का दायरा बढ़ा है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के किसान ऑयल पाम को कोको सहित अन्य फसलों के साथ अंतरफसली खेती के रूप में अपना रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक लाभ मिल रहा है.
वर्तमान में भारत ऑयल पाम के अंकुरित बीजों का आयात कर उन्हें नर्सरी में 18 महीने तक तैयार करता है, इसके बाद पौधों को खेतों में लगाया जाता है. इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए सरकार ने इस वर्ष देश में बीज उद्यानों को मंजूरी दी है. मिशन के तहत अब तक 24 तेल मिलों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनकी कुल क्षमता 638.5 टन प्रति घंटा है.
मंत्रालय ने 2025-26 में 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को ऑयल पाम के अंतर्गत लाने का लक्ष्य तय किया है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, असम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा और मिजोरम इस दिशा में अग्रणी राज्य हैं. भारत ने 28 लाख हेक्टेयर भूमि को ऑयल पाम के लिए उपयुक्त चिह्नित किया है. यह फसल सोयाबीन, सूरजमुखी, सरसों और मूंगफली जैसी तिलहनी फसलों की तुलना में प्रति हेक्टेयर 10 गुना अधिक तेल देती है.
भारत अपनी खाद्य तेल की कुल मांग का 57 प्रतिशत आयात करता है, जिसमें पाम ऑयल का हिस्सा सबसे अधिक है. पारंपरिक फसलों की तुलना में पाम ऑयल की खेती किसानों के लिए अधिक लाभदायक साबित हो रही है. यह फसल चार गुना तक ज्यादा मुनाफा देती है, जबकि इसमें देखभाल और मेहनत भी कम लगती है. पाम पौधों में रोगों का खतरा भी अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे यह किसानों के लिए लंबे समय तक स्थिर आय का भरोसेमंद जरिया बन सकती है.