
महाराष्ट्र के वाशिम जिले के एक युवा किसान ने अपनी खेत में खड़ी तुअर यानी अरहर की फसल को जमीनदोस्त कर दिया. दरअसल, वाशिम जिले के कामरगांव के युवा किसान यश गायकवाड ने कुछ दिन पहले अपने खेत में प्राकृतिक आपदा यानी बाढ़ और भारी बारिश से बची फसल को खेत में ही रौंद दिया. यश गायकवाड फसलों के सही दाम ना मिलने और सरकार की ओर से नुकसान का मुआवजा ना मिलने से परेशान थे. उन्होंने इन वजहों से 2 एकड़ में लहराती अरहर की फसल को ट्रैक्टर से रौंद दिया, इतना ही नहीं इस किसान फसल को भैंसों का निवाला भी बना दिया.
किसान यश गायकवाड ने कहा कि जो तुअर की फसल कुदरत के मार से बची थी, उसे अगर उपज मंडी में ले जाकर बेचता तो उसे वहां पूरी फसल के मात्र 20 हजार रुपये मिलते. वहीं, पूरी फसल को उपज मंडी तक ले जाने के लिए उन्हें कमाई से अधिक खर्च करना पड़ता. उन्होंने बताया कि मंडी तक ले जाने का खर्च 30 से 35 हजार आता, यानि 15 हजार रुपये उसने कमाई से ज्यादा खर्च होते, इसलिए उन्होंने अपनी फसल को रौंद दिया. किसान यश गायकवाड ने बताया कि सरकार ने दीपावली के पहले जो नुकसान भरपाई देने की बात कही थी, उसका उन्हें अभी तक 1 रुपया भी नहीं मिला.
एक और किसान मंगेश महाराज ने बताया कि खराब हुई फसलों के लिए सरकारी मदद नहीं मिली है, जिसकी वजह से दीपावली में थोड़ा बहुत सोयाबीन बेचा, और बच्चों को कपड़े, मिठाइयां और फटाखे दिलवाए. उन्होंने बताया कि आज भी वो रोज मोबाइल देखते हैं कि मुआवजे के पैसे का मैसेज आया होगा, लेकिन अभी तक सरकारी मदद का एक भी रुपया नहीं आया, जिससे वो काफी परेशान हैं.
किसान ने कहा कि अब खेती करना छोड़ना पड़ेगा, क्योंकि खेती करने में अब मजा नहीं रहा और लागत से कम कमाई हो रही है. साथ ही खेती में नुकसान भी अधिक हो रहा है. उन्होंने बताया कि खेती करने में बहुत खर्च आता है, यानि आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपया. बता दें कि महाराष्ट्र में तुअर के लिए खरीफ विपणन सीजन 2025-26 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 8000 रुपये प्रति क्विंटल है.