महाराष्ट्र में इस समय प्याज, कपास, सोयाबीन, चना और अंगूर का उत्पादन करने वाले किसान संकट में हैं. उनकी उपज औने-पौने दाम पर बिक रही है. न सोयाबीन का सही दाम मिल रहा है और न कपास का पिछले साल जैसा भाव. प्याज की दुर्दशा तो आपको पता ही है. किसान मौसम और खाद-पानी की तमाम चुनौतियों से लड़कर जब फसल पैदा करता है तो मंडियों में उसका उचित दाम नहीं मिलता. दाम नहीं मिलता तो उनकी आय बुरी तरह से प्रभावित होती है. खास तौर पर प्याज के गिरते दाम को लेकर अब विपक्ष शिंदे सरकार पर हमलावर है. किसानों का यह मुद्दा विधानसभा में उठा है. विपक्ष के नेता अजीत पवार ने विधानसभा में सरकार को तुरंत सारे काम छोड़कर किसानों के मुद्दे पर चर्चा करने की मांग की है.
हमने सरकार के संज्ञान में लाया है कि प्याज उत्पादक को दो रुपये का चेक दिया गया. सोलापुर जिले के किसान राजेंद्र चव्हाण ने मंडी में 402 किलो प्याज बेचा था. जिसकी कुल कीमत मंडी में 512 रुपये हुई थी. वहीं मंडी तक पहुंचाने समेत मजदूरी आदि खर्च के तौर पर किसान का खर्च 510 रुपये आया. ऐसे में किसान की बचत सिर्फ 2 रुपये हुई. जिसका भुगतान व्यापारी की तरफ से किसान को चेक के तौर पर किया गया. ऐसी स्थिति में समझा जा सकता है कि महाराष्ट्र में खासतौर पर प्याज की खेती करने वाले किसान कितने परेशान हैं.
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अजीत पवार ने यह भी कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और नाफेड (NAFED) जैसे संगठनों को कृषि उपज खरीदने और इस मुद्दे को हल करने के लिए केंद्र सरकार के साथ समन्वय करने के निर्देश देने चाहिए. विधानसभा में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने राज्य में किसानों की कृषि उपज का सही मूल्य दिलाने के लिए सदन में सवाल उठाया. महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उगाने वाला राज्य है. अच्छी गुणवत्ता के कारण निर्यात में भी महाराष्ट्र अग्रणी है.
इस समय प्याज के दाम औसतन 500 से 600 रुपए प्रति क्विंटल ही चल रहे हैं, जिससे किसान मायूस हैं. प्याज का बहुत काम भाव मिलने से किसानों में असंतोष है. प्याज के दाम को लेकर राज्य में कई जगहों पर सरकार के खिलाफ रास्ता रोको विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. सोमवार को एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी में किसानों का बड़ा प्रदर्शन हुआ था, जिसकी वजह से मंडी बंद रही थी. कई जगहों पर 200 रुपये प्रति क्विंटल हा ही भाव मिल रहा है.
प्याज के अलावा कपास, सोयाबीन, चना और अंगूर की खेती करने वाले किसानों को भी भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है. क्योंकि उत्पादन लागत भी बाजार में नहीं मिल रही. महाराष्ट्र में किसानों को प्याज का जो दाम मिल रहा है वह एक मजाक है. किसानों की ओर से प्याज निर्यात के लिए केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में लागू की गई प्याज निर्यात प्रोत्साहन योजना को शुरू करने की मांग की जा रही है. अजीत पवार ने यह भी कहा कि नेफेड और मार्केटिंग फेडरेशन के माध्यम से प्याज की बड़े पैमाने पर खरीद शुरू करना जरूरी है.
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