दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में पिछले कुछ समय से बारिशों का दौर जारी है. बताया जा रहा है कि राज्य में दस बार बारिश काफी हुई है. ज्यादा बारिश की वजह से दक्षिण कर्नाटक में तंबाकू की खेती करने वाले किसान खासे निराश हैं. इस बारिश ने उनकी उम्मीदों को कमजोर कर दिया है. उनका कहना है कि ज्यादा बारिश की वजह से उन्हें नुकसान होने की आशंका बढ़ा गई है. ये किसान पहले ही दुनियाभर में उत्पादन गिरने की वजह से चिंतित थे लेकिन अब बारिश ने उनकी चिंताओं को दोगुना कर दिया है.
हिंदु बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार जून और जुलाई में हुई ज्यादा बारिश ने किसानों को परेशान कर दिया है. इस बारिश की वजह से उन्हें फसल का नुकसान तो हुआ ही है साथ ही साथ तंबाकू की क्वालिटी भी खराब हो गई है. अखबार ने फेडरेशन ऑफ कर्नाटक वर्जिनिया टोबैको ग्रोअर्स एसोसिएशन के प्रेसीडेंट जवारे गौड़ा के हवाले से लिखा है कि बारिश इस साल बहुत ही असाधारण रही है. इसकी वजह से 30 से 40 फीसदी से ज्यादा फसल का नुकसान पहले ही हो चुका है. ऐसे में किसानों को इस फसल नुकसान का मुआवजा टोबैको बोर्ड ग्रोअर्स वेलफेयर फंड की तरफ से किया जाना चाहिए. दक्षिण कर्नाटक के मैसूर, हासन और चामराजनगर जिले में तंबाकू की खेती की जाती है.
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साल 2024-2025 के सत्र के लिए टोबैको बोर्ड ने कर्नाटक के लिए फसल की मात्रा तय की थी जोकि 100 मिलियन किलोग्राम थी. पिछले वर्ष भी इसी तरह का आंकड़ा तय किया गया था. टोबैको बोर्ड के अधिकारियों की मानें तो जुलाई के सेकेंड हाफ में काफी ज्यादा बारिश हुई है. इसकी वजह से खेतों में पानी भर गया है. इस वजह से पौधों की जड़ों को हवा नहीं लग सकी. इसका नतीजा हुआ कि पत्तियों पहले ही पीली पड़ गईं. अब उत्पादन और भी खराब होगा क्योंकि क्वालिटी बिगड़ गई है. एक अधिकारी की मानें तो फसल में कुछ घाटा होगा लेकिन अभी नुकसान कितना होगा, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है. साथ ही क्वालिटी भी खराब आएगी.
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मई के आखिरी हफ्ते और जून की शुरुआत में भी ज्यादा बारिश की वजह से तंबाकू उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ा था. उस समय अंकुर आने के बाद पौधे बारिश के पानी में बह गए थे. फ्लू र्क्योड वर्जिनिया तंबाकू (एफसीवी) की खेती मैसूर के आसपास की जाती है और इसकी अच्छी खासी डिमांड भी है. इस तंबाकू की खूबी यह है कि इसे दुनिया की किसी भी तरह की तंबाकू के साथ मिलाया जा सकता है. इसमें निकोटिन, टार और शुगर की मात्रा कम होती है. अधिकारियों की मानें तो कर्नाटक में उत्पादित 90 फीसदी एफसीवी तंबाकू को निर्यात किया जाता है.