देशभर में छा गई पूसा की हल्दी 'राजेंद्र सोनिया', बढ़ी मांग ने किसानों को दी नई उम्मीद

देशभर में छा गई पूसा की हल्दी 'राजेंद्र सोनिया', बढ़ी मांग ने किसानों को दी नई उम्मीद

राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर की बड़ी उपलब्धि. तैयार की राजेंद्र सोनिया हल्दी की वैरायटी. इस हल्दी की देश भर में बढ़ी मांग, कुर्कुमिन तत्व की उच्च मात्रा बनी खास वजह. 

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अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • Patna,
  • Jul 24, 2025,
  • Updated Jul 24, 2025, 4:52 PM IST

राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) द्वारा विकसित हल्दी के प्रभेद "राजेंद्र सोनिया" की देशभर में जबरदस्त मांग देखी जा रही है. विश्वविद्यालय द्वारा तैयार इस हल्दी में स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी कुर्कुमिन तत्व की मात्रा 6 परसेंट से लेकर 8.5 परसेंट तक पाई गई है, जो इसे अन्य किस्मों की तुलना में अधिक प्रभावशाली बना रही है. राजेंद्र सोनिया के तत्वों की वैज्ञानिक वर्गीकरण प्रक्रिया कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय के निर्देश पर की गई, जिसके तहत कुर्कुमिन समेत अन्य महत्वपूर्ण तत्वों की पहचान की गई. वर्गीकरण के बाद इस हल्दी की गुणवत्ता प्रमाणित हुई. वहीं, सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों से लेकर किसानों के बीच इस किस्म की मांग हो रही है.

हल्दी में कुर्कुमिन के कारण बढ़ी लोकप्रियता

विश्वविद्यालय ने बताया कि कुर्कुमिन एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इन्फ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुणों से भरपूर तत्व है, जो कई बीमारियों की रोकथाम और उपचार में सहायक होता है. राजेंद्र सोनिया में इसकी अधिक मात्रा होने के कारण, देश के विभिन्न राज्यों से इसकी बीज के रूप में भारी मांग की जा रही है. वहीं, बिहार के समस्तीपुर सहित विभिन्न जिलों में हल्दी की खेती होती है. यह किस्म इसकी पैदावार में एक नई क्रांति ला सकती है.

किसानों को मिलेगा लाभ, बढ़ेगी आमदनी

विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पी.एस. पांडेय ने कहा कि समस्तीपुर जिले में हल्दी की अच्छी खेती होती है और अब राजेंद्र सोनिया की गुणवत्ता प्रमाणित होने के बाद किसानों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है. इसकी मांग के कारण किसान उच्च मूल्य पर अपनी उपज बेच रहे हैं, जिससे उनकी आय में इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शाही लीची (मधु) समेत अन्य विशिष्ट उत्पादों के लिए जीआई टैगिंग की दिशा में प्रयास कर रहा है. मोतिहारी के मर्चा धान के चूड़े को जीआई टैग मिलने के बाद उसके मूल्य में दो गुना से अधिक की वृद्धि हुई, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिला है. वहीं, शाही लीची (शहद) को आने वाले दिनों में जीआई टैग मिलता है तो इससे भी मधुमक्खी पालन करने वाले लोगों की कमाई बढ़ेगी.

सरकारी संस्थानों से लेकर किसान खरीद रहे हैं बीज

डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर के वैज्ञानिक डॉ. ए. के. मिश्रा ने बताया कि खरीफ सीजन 2025 में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने विश्वविद्यालय से 347 क्विंटल से अधिक राजेंद्र सोनिया हल्दी की खरीद की है. इसके अलावा, ये संस्थाएं स्थानीय किसानों से भी उच्च कीमतों पर हल्दी की खरीद कर रही हैं. वहीं, बिहार के किसानों को 130 क्विंटल बीज प्रदान किए गए हैं ताकि वे इसकी खेती कर बढ़ती मांग का लाभ उठा सकें.

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