
चक्रवात ‘मोंथा’ ने तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भारी तबाही मचाई है. तेलंगाना में जहां लाखों एकड़ में फसलें बर्बाद हो गई हैं, वहीं आंध्र प्रदेश में बिजली ढांचा बुरी तरह प्रभावित हुआ है और खड़ी फसलों को नुकसान हुआ है. चक्रवात का सबसे बड़ा असर किसानों पर पड़ा है, जिनकी मेहनत की पूरी फसल बर्बाद हो गई. तेलंगाना के कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने बताया कि प्रारंभिक आकलन के अनुसार राज्य के 12 जिलों में करीब 4.47 लाख एकड़ क्षेत्र में फसलों को नुकसान पहुंचा है. इन जिलों के 2,53,000 से अधिक किसान प्रभावित हुए हैं.
कृषि विभाग की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक, धान की फसल 2,82,379 एकड़ में और कपास की फसल 1,51,707 एकड़ में तबाह हुई है. सबसे ज्यादा नुकसान वारंगल जिले में 1.30 लाख एकड़, खम्मम में 62,400 एकड़ और नलगोंडा में 52,071 एकड़ में दर्ज किया गया है.
मंत्री राव ने कहा कि विस्तृत सर्वेक्षण पूरा होने के बाद नुकसान का आंकड़ा और बढ़ सकता है. उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार प्रत्येक किसान की मदद करेगी और कोई भी पीड़ित किसान सहायता से वंचित नहीं रहेगा.
‘मोंथा’ चक्रवात के प्रभाव से बुधवार को तेलंगाना के कई इलाकों में भारी बारिश हुई, जिससे खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हो गईं. किसानों के मुताबिक, कटाई के मुहाने पर पहुंची फसलें पूरी तरह खराब हो चुकी हैं.
वहीं, आंध्र प्रदेश में बिजली तंत्र को भारी क्षति हुई है. राज्य के ऊर्जा मंत्री जी. रवि कुमार ने बताया कि चक्रवात के दौरान 13,000 बिजली के खंभे, 3,000 किलोमीटर वायर और 3,000 ट्रांसफॉर्मर क्षतिग्रस्त हुए हैं. मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू के अनुसार, राज्य को अब तक 5,265 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है.
कुमार ने कहा कि विभाग ने चक्रवात से पहले ही कर्मचारियों को तैनात कर दिया था, जिससे प्रभावित जिलों में 24 घंटे के भीतर बिजली आपूर्ति बहाल कर दी गई. कृषि और मत्स्य पालन से जुड़े फीडरों की बिजली 48 घंटे में पूरी तरह चालू कर दी जाएगी. चक्रवात ‘मोंथा’ ने किसानों के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गहरी चोट दी है, जहां तेलंगाना में खेत उजड़ गए. वहीं, आंध्र में सिंचाई और बिजली ढांचा चरमरा गया.