
सरकार ने पीली मटर पर से 'ड्यूटी फ्री इंपोर्ट' को हटा दिया है. यानी अभी तक देश में पीली मटर का आयात जीरो ड्यूटी के साथ होता था. लेकिन अब इसे खत्म कर तगड़ी ड्यूटी लगा दी गई है. दाल उद्योग से जुड़े संगठन लंबे दिनों से सरकार से मांग कर रहे थे कि जीरो इंपोर्ट को समाप्त किया जाए ताकि देश के किसानों की दाल बिके और उनकी कमाई बढ़े. अब सरकार ने खरीफ उपजों की भारी आवक के बीच यह बड़ा फैसला लिया है. नए फैसले के मुताबिक, 1 नवंबर से पीली मटर के आयात पर 10 फीसद टैरिफ और 20 फीसद एग्री इंफ्रा डेवलपमेंट सेस लगेगा. इस तरह इस दाल के आयात पर कुल 30 फीसद का टैक्स देना होगा.
इस कदम से देश के दलहन किसानों को लाभ होगा. खासकर ऐसे समय में जब सरकार किसानों से शत-प्रतिशत दाल की उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी पर खरीदने की बात कह चुकी है. सरकार का यह फैसला ऐसे समय में सामने आया है जब मंडी और बाजारों में खरीफ उपजों की आवक तेजी से बढ़ रही है और किसानों से एमएसपी पर खरीद की जा रही है. 30 फीसद टैक्स लगने से विदेशी दालें भारत में कम आएंगी और देसी दालों की खरीदारी बढ़ेगी. इससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा.
बुधवार देर रात जारी एक नोटिफिकेशन में, वित्त मंत्रालय ने कहा कि 1 नवंबर से पीली मटर पर 10 फीसद इंपोर्ट ड्यूटी और 20 फीसद एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस (AIDC) लगेगा. आयात को ड्यूटी-फ्री करने के 7 महीने के अंदर ड्यूटी लगाने का यह कदम सरकार के उस फैसले के बाद आया है जिसमें तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में मूंग (हरी दाल), उड़द (काली दाल) और अरहर (लाल दाल) को MSP पर खरीदने की मंजूरी दी गई है. सोयाबीन को मिलाकर, इस खरीद पर अनुमानित 15,095.83 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है. सरकार ने अभी हाल में इसकी घोषणा की है.
सरकार के इस फैसले के बाद माना जा रहा है कि पीली मटर पर इंपोर्ट ड्यूटी फिर से लगाने के फैसले से देश के किसानों को बेहतर कीमतें मिलेंगी, क्योंकि अभी उन्हें सरकार की ओर से तय MSP से कम दाम मिल रहे हैं. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अरहर की कीमतें 7,550 रुपये की MSP के मुकाबले 7,000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे चल रही हैं और उड़द की कीमतें 6,150 (7,400 रुपये) रुपये हैं. मूंग का भाव 8,682 रुपये प्रति क्विंटल की MSP के मुकाबले 6,557 रुपये है.
सरकार के इस फैसले से उम्मीद है कि भारत में विदेशी मटर और दालों का आयात घटेगा, जिससे घरेलू दालों की मांग और कीमतें बढ़ेंगी. वर्तमान में किसानों को एमएसपी से कम दाम मिल रहे हैं —
इसके अलावा, कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और रूस जैसे देशों में अच्छी फसल के कारण ग्लोबल मार्केट में दालों की कीमतें गिर गई हैं. साथ ही, अफ्रीकी देशों में भी अरहर की अच्छी फसल हुई है. इन सबका असर भारत के बाजारों पर दिख रहा है और इंपोर्ट ड्यूटी लगने के बाद और भी असर दिखने की संभावना है.