Maharashtra में तूर फसल को भारी नुकसान, आयात से होगी कमी पूरी, बाढ़ से 40% तक फसल बर्बाद

Maharashtra में तूर फसल को भारी नुकसान, आयात से होगी कमी पूरी, बाढ़ से 40% तक फसल बर्बाद

महाराष्ट्र में भारी बारिश और बाढ़ से तूर (अरहर) की फसल को करीब 40% नुकसान हुआ है. अफ्रीकी देशों से तूर आयात के जरिए दाल की कमी पूरी की जाएगी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी.

अरहर की फसल को नुकसानअरहर की फसल को नुकसान
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Oct 29, 2025,
  • Updated Oct 29, 2025, 7:10 PM IST

महाराष्ट्र में इस बार लगातार बारिश और बाढ़ ने तूर (अरहर) की फसल को गंभीर रूप से प्रभावित किया है. किसानों और कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, लगभग 40 प्रतिशत तूर फसल को नुकसान हुआ है. यह नुकसान खासकर अहिल्यानगर, सांगली, सतारा, पुणे, बीड, सोलापुर, लातूर और मराठवाड़ा के जिलों में ज्यादा देखा जा रहा है.

लातूर जिला कृषि अधिकारी शिवसंब लाडके के अनुसार, “कई खेतों में अब भी पानी भरा हुआ है. बारिश रुकने के बाद भी फसलों में मुरझाने के लक्षण साफ दिखाई दे रहे हैं.”

तूर उत्पादन में महाराष्ट्र की अहम भूमिका

भारत में तूर की खेती मुख्य रूप से आठ राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, झारखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश- में होती है. इनमें महाराष्ट्र सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है. 2024-25 में भारत में 35.61 लाख टन तूर का उत्पादन हुआ, जिसमें से 13.25 लाख टन महाराष्ट्र से आया था. इस साल राज्य में तूर की बुवाई का क्षेत्रफल लगभग 11.60 लाख हेक्टेयर रहा.

फसल रोग और कीटों का बढ़ता खतरा

इस बार की लंबी बारिश और बादलों भरे मौसम ने फसलों पर फ्यूजेरियम विल्ट (Fusarium Wilt) नामक फफूंदी रोग को बढ़ावा दिया है. यह रोग पौधों की जड़ों में फैलकर पानी और पोषक तत्वों की आपूर्ति रोक देता है, जिससे पौधे सूखने लगते हैं. कृषि विशेषज्ञ दीपक चव्हाण के अनुसार, “लगभग 25-30 प्रतिशत फसल इस रोग से प्रभावित है. यह नुकसान बाढ़ से हुए नुकसान के अतिरिक्त है.”

उत्पादन घटने से बाजार पर असर की संभावना

कई किसानों ने बताया कि इस साल फूल झड़ना और फलियों का काला पड़ना आम समस्या बन गई है. अहमदनगर के किसान राजेश कुटे का कहना है, “इस बार अधिक नमी और कम धूप से पौधों की वृद्धि रुक गई है. प्रति हेक्टेयर उपज में 4-5 क्विंटल की कमी आने की संभावना है.”
अब जब मिट्टी सूखने लगी है, तो कीट और रोगों का प्रकोप बढ़ गया है, जिससे फसल को और नुकसान हो सकता है.

तूर की कमी पूरी करेंगे आयात

विशेषज्ञों का मानना है कि घरेलू बाजार में तूर की कमी को आफ्रीकी देशों से आयात के जरिए पूरा किया जाएगा. तंजानिया, मोज़ाम्बिक और मलावी से तूर लगभग $550 (₹48,500 प्रति टन) के भाव पर आयात की जा रही है.
यह कीमत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹80,000 प्रति टन से काफी कम है, इसलिए इससे उपभोक्ताओं पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा.

महाराष्ट्र की तूर फसल पर इस बार मौसम की मार पड़ी है. भारी बारिश, फफूंदी रोग और कीटों के हमले से उत्पादन में बड़ी गिरावट तय है. हालांकि सरकार और व्यापारी आयात के जरिए आपूर्ति संतुलित करने की कोशिश में हैं, जिससे बाजार में दाल की कीमतों में भारी वृद्धि की संभावना कम है.

ये भी पढ़ें: 

Noida Farmer Protest: नोएडा प्राधिकरण को किसानों ने घेरा, जानें पूरा मामला
Sugarcane Price: योगी सरकार ने बढ़ाए गन्ने के दाम, Rakesh Tikait ने किया '400 पार' का वार

MORE NEWS

Read more!