गुंटूर की तरह तमिलनाडु के इस जिले में भी होती है मिर्च की खेती, अमेरिका-यूरोप तक होता है निर्यात

गुंटूर की तरह तमिलनाडु के इस जिले में भी होती है मिर्च की खेती, अमेरिका-यूरोप तक होता है निर्यात

किसान उत्पादक संगठन के वेल्लिमलर कहते हैं कि पिछले साल, हमने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में लगभग 500 टन मिर्च और 100 टन स्टेमलेस मिर्च का निर्यात किया था. वहीं, कोरामपल्लम के मिर्च किसान सह निर्यातक वी रामर कहते हैं कि तमिल दुनिया के किसी भी हिस्से में हों, वहां रामनाथपुरम मिर्च की मांग रहती है.

तमिलनाडु में मिर्च की खेती. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Chilli cultivation in Ramanathapuram district of Tamil Nadu,
  • Mar 30, 2024,
  • Updated Mar 30, 2024, 3:46 PM IST

तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिला का नाम सुनते ही जेहन में सबसे पहले पानी की कमी से जूझ रहे किसानों की तस्वीर उभर कर सामने आती है. हालांकि, यह जानकार आपको हैरानी होगी कि जिले भर में 1.7 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में हर साल पारंपरिक फसलों की खेती और बागवानी की जाती है. खास बात यह है कि रामनाथपुरम सब्जी और फलों के अलावा मिर्च की खेती के लिए बहुत लोकप्रिय है. जिले की मिर्च की अपनी किस्में हैं जिन्हें 'रामनाथपुरम मुंडु' और 'सांबा' कहा जाता है.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सांबा किस्म इस क्षेत्र में बहुत लोकप्रिय मिर्च है. इसकी वैश्विक बाजार में भी बहुत मांग है. वहीं, मुंडू किस्म घरेलू स्तर पर बहुत लोकप्रिय है. इसे हाल ही में जीआई टैग मिला है और इसके निर्यात में वृद्धि की संभावना है. जिले में प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं होने के बावजूद, यहां के किसान हर साल हजारों टन मिर्च उगाने में कामयाब हैं. जिले में हर साल 15 हजार हेक्टेयर में ये दोनों किस्में उगाई जाती हैं. हालांकि, रामनाथपुरम मुंडू अपने तीखेपन के लिए जाना जाता है. इसमें तीखापन (कैप्साइसिन सामग्री) की दर 17,500 स्कोविल हीट यूनिट (एसएचयू) है, जो इसे 200 से अधिक वर्षों के इतिहास के साथ सबसे तीखी मिर्चों में से एक बनाती है.

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10,000 टन मिर्च का उत्पादन

एमएसके बक्कीनाथन, टीएन के अध्यक्ष वैगई इरिगेशन फार्मर्स एसोसिएशन का कहना है कि हालांकि गुंटूर को भारत का 'मिर्च शहर' कहा जाता है, लेकिन दशकों पहले रामनाथपुरम मिर्च का प्रमुख केंद्र था. पहले यहां पर एक लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन पर मिर्च की खती होती थी. पिछले कुछ वर्षों में, सरकार परती भूमि को मिर्च के खेतों में बदलने के लिए कदम उठा रही है, जिससे किसान भी उत्साहित हैं. टीएनआईई से बात करते हुए, कृषि व्यवसाय विभाग की विपणन समिति के सचिव राजा कहते हैं कि औसतन रामनाथपुरम में प्रतिवर्ष 10,000 टन मिर्च का उत्पादन होता है. हालांकि, ज्यादातर किसान मुंडू किस्म की खेती करते हैं. 

2,000 टन का कोल्ड स्टोरेज खोला गया

राज्य सरकार ने एट्टीवायल गांव में 2,000 टन की कोल्ड स्टोरेज सुविधा के साथ एक विशेष मिर्च कॉम्प्लेक्स शुरू किया है, जहां प्रसंस्करण और बिक्री की जाती है. फसल कवरेज बढ़ाने के लिए रामनाथपुरम, विरुधुनगर, शिवगंगा और थूथुकुडी जिलों को शामिल करते हुए एक 'मिर्च क्षेत्र' शुरू किया गया है. कोरामपल्लम के मिर्च किसान सह निर्यातक वी रामर कहते हैं कि तमिल दुनिया के किसी भी हिस्से में हों, वहां रामनाथपुरम मिर्च की मांग रहती है. मैंने पिछले साल यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका को 80 टन सांबा और मुंडू किस्मों का निर्यात किया था. मुंडू को जीआई टैग मिलने से इसकी मांग बढ़ गई है और मैंने हाल ही में 12 टन किस्म का निर्यात किया है.

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मिर्च का होता है निर्यात

उन्होंने कहा कि अकेले कामुधि ब्लॉक से पिछले साल 500 टन से अधिक मिर्च का निर्यात किया गया था. उनका कहना है कि जीआई टैग मिलने से मुंडू की कीमत बढ़ गई है और सांबा किस्म के 200 रुपये प्रति किलोग्राम के बराबर आ गई है. वैश्विक बाजार में जैविक फसलों की बढ़ती मांग के साथ, अगर राज्य सरकार एक नई योजना शुरू करती है तो किसानों को काफी फायदा होगा.  

 

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