हरियाणा सरकार ने गन्ना किसानों को दिवाली से पहले बड़ा तोहफा दिया है. एक साथ ही दो साल के दाम का एलान कर दिया गया है. कहां एक साल का दाम बढ़ाने के लिए किसानों को आंदोलन तक करना पड़ता है. वर्तमान नवंबर से शुरू होने वाले गन्ना पेराई सत्र के लिए 386 रुपए प्रति क्विंटल दाम होगा जबकि अगले सत्र के लिए 400 रुपये प्रति क्विंटल. यह एक तरह से चुनावी दांव है. यहां के किसान लंबे समय से गन्ने का दाम 400 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे थे. जिसे अब पूरा कर दिया गया है. फिलहाल, वर्तमान सत्र के लिए गन्ने का मूल्य अगेती किस्म के लिए 372 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 386 रुपए प्रति क्विंटल घोषित कर दिया गया है. जोकि 14 रुपये की वृद्धि है.
इसके साथ ही अब हरियाणा देश में सबसे ज्यादा गन्ना मूल्य देने वाला राज्य बन गया है. पंजाब अब दूसरे नंबर पर चला गया है, जो अपने सूबे के किसानों को 380 रुपये प्रति क्विंटल का भाव दे रहा है. हरियाणा के कृषि मंत्री जय प्रकाश दलाल ने 30 अक्टूबर को चंडीगढ़ में गन्ना नियंत्रण बोर्ड की बैठक के बाद एलान किया था कि इस साल भी सरकार गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी करेगी. उनके बयान के एक सप्ताह बाद ही दाम बढ़ा दिया गया है. नवंबर में ही नया गन्ना पेराई सत्र शुरू हो रहा है.
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अब राज्य सरकार चुनावी मोड में आ चुकी है इसलिए इस बार बिना किसी किसान आंदोलन के 14 रुपये क्विंटल की वृद्धि कर दी है. जबकि पिछली बार पेराई सीजन शुरू होने के काफी बाद गन्ने का रेट बढ़ाया गया था वो भी आंदोलन करने के बाद. नवंबर 2022 में दाम बढ़ाने की बजाय सरकार ने 25 जनवरी 2023 को आंदोलन के दबाव में 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की थी. इसलिए यह भी कहा जा सकता है कि 10 महीने के अंदर ही दो बार दाम बढ़ गया. अब सीएम मनोहरलाल कह सकते हैं कि उन्होंने गन्ने का दाम पंजाब से अधिक कर दिया. इसके साथ ही पंजाब और यूपी पर भी दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले वर्ष जिन दिनों गन्ने का रेट घोषित होता है, उन दिनों में आचार संहिता लगी होगी. इसलिए विभाग से परामर्श करके अगले वर्ष के लिए गन्ने का रेट 400 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया जाता है. सरकार द्वारा लिए गए इस निर्णय का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि गन्ना किसानों को उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण के लिए उचित मूल्य मिले. गन्ने की दरों में उल्लेखनीय वृद्धि करके किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. यह अगले वर्ष भी सरकार की ओर से किसानों को समर्थन जारी रखने का वादा है.
मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश के किसान भाई बहुत ही परिश्रम से खेती करते हैं और अपनी उपज बाजार में बेचकर हरियाणा की आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हैं. राज्य सरकार भी सदैव किसान हित में निर्णय ले रही है और हम उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हैं. इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां 14 फसलों की खरीद एमएसपी पर की जाती है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से गन्ना किसानों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने और हरियाणा के कृषि क्षेत्र की समृद्धि में योगदान होने की उम्मीद है.
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हरियाणा की देश के कुल गन्ना उत्पादन में हिस्सेदारी सिर्फ 2 प्रतिशत है. सूबे में कुल कुल 16 चीनी मिलें हैं, जिनमें से 11 सहकारी क्षेत्र की हैं. सहकारी मिलों में चीनी रिकवरी सिर्फ 9.75 फीसदी ही है. जबकि 2020-21 के दौरान हरियाणा की प्राइवेट मिलों में चीनी की रिकवरी 10.24 फीसदी थी. इस साल सरकार ने 10 प्रतिशत रिकवरी रेट के साथ सूबे में 424 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई का लक्ष्य रखा है.