CAI ने सरकार से कॉटन पर 11% इंपोर्ट ड्यूटी हटाने की मांग की, कहा– टेक्सटाइल इंडस्ट्री संकट में

CAI ने सरकार से कॉटन पर 11% इंपोर्ट ड्यूटी हटाने की मांग की, कहा– टेक्सटाइल इंडस्ट्री संकट में

कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने कहा कि कम घरेलू उत्पादकता, ऊंचे MSP और अंतरराष्ट्रीय बाजार की चुनौती के बीच 11% इंपोर्ट ड्यूटी टेक्सटाइल इंडस्ट्री को नुकसान पहुंचा रही है. CAI का दावा है कि ड्यूटी हटाने से भारत वैश्विक कॉटन ट्रेड में मुकाबला बना सकेगा और 2030 तक 100 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.

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क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Dec 10, 2025,
  • Updated Dec 10, 2025, 2:19 PM IST

मुक्त व्यापार यानी फ्री ट्रेड की वकालत करते हुए कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने सरकार से कच्चे कॉटन के इंपोर्ट पर 11 परसेंट कस्टम ड्यूटी हटाने की अपील की है. अभी, कच्चे कॉटन का इंपोर्ट 31 दिसंबर, 2025 तक ड्यूटी फ्री है.

ड्यूटी हटाने की मांग करते हुए, CAI के प्रेसिडेंट विनय एन कोटक ने कहा कि भारतीय टेक्सटाइल इंडस्ट्री अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है, जो US टैरिफ की अनिश्चितता और यूरोप में मंदी के हालात से जूझ रही है.

दुनिया में महंगा हुआ भारतीय कपास

कोटक ने कहा, "कम घरेलू प्रोडक्टिविटी और ज्यादा मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) से पैदा हुई मौजूदा मार्केट चुनौतियों ने भारतीय कॉटन को दूसरे देशों के मुकाबले महंगा बना दिया है. कॉटन पर लगाई गई 11 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी न सिर्फ कीमतों को बिगाड़ती है बल्कि हमारी टेक्सटाइल इंडस्ट्री की परेशानी को भी बढ़ाती है."

कोटक ने कहा कि टेक्सटाइल इंडस्ट्री को बेहतर बनाने का एकमात्र तरीका कच्चे माल की टिकाऊ और लगातार सप्लाई उपलब्ध कराना है. कोटक ने कहा, “किसानों को MSP के जरिए पहले से ही सुरक्षा दी जा रही है, लेकिन अब समय आ गया है कि 11 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी हटाकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री को भी सुरक्षा दी जाए, जिससे उसे कॉम्पिटिटिव रॉ मटीरियल मिल सके. अगर टेक्सटाइल इंडस्ट्री को अभी सपोर्ट नहीं किया गया, तो इससे तुरंत बेरोजगारी, लोन में डिफॉल्ट और पूरी टेक्सटाइल वैल्यू चेन में लोन का बोझ बढ़ सकता है.”

100 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट का टारगेट

CAI प्रेसिडेंट ने कहा कि ड्यूटी हटाने से इंडियन टेक्सटाइल सेक्टर को वर्ल्ड ट्रेड में अपना हिस्सा बढ़ाने और 2030 तक 100 अरब डॉलर के एक्सपोर्ट का टारगेट हासिल करने में मदद मिलेगी.

इसके अलावा, कोटक ने कहा कि इस फसल के मौसम में बेमौसम बारिश के कारण इंडियन कॉटन की क्वालिटी को बहुत नुकसान हुआ है. कोटक ने कहा, “हमारी टेक्सटाइल मिलों को खरीदारों की क्वालिटी की जरूरत को पूरा करने के लिए कॉटन इंपोर्ट करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. अगर 11 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी नहीं हटाई गई, तो इंडियन टेक्सटाइल सामान कॉम्पिटिटिव नहीं रहेंगे और खरीदार वियतनाम, बांग्लादेश, पाकिस्तान और दूसरे मार्केट में चले जाएंगे. 

उन्होंने कहा, इससे लंबे समय तक नुकसान हो सकता है और वर्ल्ड कॉटन टेक्सटाइल मार्केट में इंडिया का हिस्सा कम हो सकता है. उन्होंने कहा कि Covid-19 महामारी के समय खास हालात में 11 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई थी. इससे पहले कॉटन पर कोई इंपोर्ट ड्यूटी नहीं थी और इसका किसानों पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा.

सीएआई ने सरकार से मांगी मदद

कोटक ने कहा, "हम CAI की तरफ से सरकार को जोर देकर सलाह देते हैं कि वह मदद करे और पूरे कॉटन और टेक्सटाइल वैल्यू चेन को बचाने के लिए कॉटन पर मौजूदा 11 परसेंट इंपोर्ट ड्यूटी हटा दे."

अपने नए सप्लाई डिमांड अनुमानों में, CAI ने अनुमान लगाया है कि मौजूदा 2025-26 सीजन में भारतीय कॉटन इंपोर्ट 170 kg की 50 लाख गांठों के रिकॉर्ड तक पहुंचने की संभावना है, जो पिछले साल के 41 लाख गांठों से ज्यादा है. मौजूदा सीजन में फसल 309.5 लाख गांठ और घरेलू खपत 295 लाख गांठ होने का अनुमान है.

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