शकरकंद एक प्राकृतिक रूप से मीठी जड़ वाली फसल है. वहीं शकरकंद की खेती पूरे साल की जाती है, लेकिन यह विशेष रूप से सर्दियों के मौसम में ज्यादा होती है. शकरकंद की बाज़ार में हमेशा मांग बनी रहती है. लोग इसे त्योहारों के दिनों में फलहार के तौर पर खाते हैं. आलू की तरह दिखने वाली शकरकंद की खेती अलग-अलग राज्यों में बड़े पैमाने पर की जाती है. भारत में उगने वाले शकरकंद का स्वाद आज पूरी दुनिया को पसंद आ रहा है. वहीं शकरकंद की बुवाई के लिए सितंबर और अक्टूबर महीने का पहला पखवाड़ा सबसे बेहतर माना जाता है. ऐसे तो शकरकंद की 400 से अधिक किस्में हैं, जिसकी खेती करके किसान बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं.
अगर आप भी शकरकंद की खेती करना चाहते हैं और उसकी उन्नत वैरायटी के बीज मंगवाना चाहते हैं तो आप नीचे दी गई जानकारी की सहायता से इसके बीज ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन शकरकंद की उन्नत किस्म भू कृष्ण का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
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यह शकरकंद की अधिक उपज देने वाली किस्म है. शकरकंद की इस क़िस्म की कंद का बाहरी रंग पीला मिट्टी के रंग का होता है, लेकिन इसके अंदर निकलने वाला गुदा लाल रंग का होता है. भारत के दक्षिणी राज्यों में इसकी खेती अधिक की जाती है. शकरकंद की इस किस्म को केंद्रीय कंद फसल अनुसंधान संस्थान, तिरुवनंतपुरम द्वारा विकसित की गई है. इसकी एक एकड़ की खेती से 18 टन तक का उत्पादन प्राप्त होता है.
अगर आप भी शकरकंद की उन्नत किस्म की खेती करना चाहते हैं, तो इसके 100 ग्राम के पैकेट के बीज फिलहाल 35 फीसदी की छूट के साथ 312 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएगा. इसे खरीद कर आप आसानी से शकरकंद की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
शकरकंद की फसल के लिए पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद खेत को कुछ दिन के लिए खुला छोड़ दें, ताकि उसमें मौजूद पुराने फसल अवशेष, खरपतवार और कीट नष्ट हो जाएं. इसके बाद 200 क्विंटल सड़ी गोबर खाद प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालकर दो से तीन बार खेत की जुताई करें. अंतिम जुताई रोटावेटर से करके खेत की मिट्टी को भुरभुरा और हवादार बना लें. उसके बाद शकरकंद की खेती करें.