पाला से फसलों में पैदा होता है पेरोलिन एसिड जो पत्तियों और तनों को सुखा देता है, इससे बचाव का उपाय जानिए

पाला से फसलों में पैदा होता है पेरोलिन एसिड जो पत्तियों और तनों को सुखा देता है, इससे बचाव का उपाय जानिए

पाला पड़ने से पौधों में परोलिन नामक अमीनो एसिड हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे पौधों की ग्रोथ रुकने लगती है. साथ ही पाला पड़ने से पौधों की कोशिकाओं में मौजूद जल के कण बर्फ में तब्दील हो जाते हैं. इससे पौधों को भारी नुकसान होता है.

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पाला से फसलों में पैदा होता है पेरोलिन एसिड जो पत्तियों और तनों को सुखा देता है, इससे बचाव का उपाय जानिएपाला से फसलों में पैदा होता है पेरोलिन एसिड जो पत्तियों और तनों को सुखा देता है

भारत में छह अलग-अलग प्रकार के मौसम पाए जाते हैं. यहां हर दो से तीन महीने मे मौसम बदलते रहते हैं. इस बदलते मौसम का सबसे ज्यादा प्रभाव किसानों पर पड़ता है. वहीं देश के किसान को हर मौसम में अपनी फसलों को बचाने के लिए अलग-अलग तरीके का पैंतरा अजमाना पड़ता है. फिलहाल देश के कई राज्यों में जबरदस्त ठंड और शीतलहर जारी है. इस मौसम के आते ही किसानों को पाला पड़ने की चिंता सताने लगती है क्योंकि इससे फसलों को नुकसान होने की संभावना बनी रहती है. ऐसे में किसानों को कुछ सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. वहीं पाला से फसलों में पेरोलिन एसिड पैदा होती है जो पत्तियों और तनों को सुखा देता है,

पेरोलिन एसिड से होता है नुकसान

दरअसल पाला पड़ने से पौधों में परोलिन नामक अमीनो एसिड हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे पौधों की ग्रोथ रुकने लगती है. साथ ही पाला पड़ने से पौधों की कोशिकाओं में मौजूद जल के कण बर्फ में तब्दील हो जाते हैं. इस वजह से वहां अधिक घनत्व होने के कारण पौधों की कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, जिससे पौधे को विभिन्न प्रकार की क्रिया (कार्बन डाइऑक्साइड, ऑक्सीजन, वाष्प उत्सर्जन) करने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है. जिसकी वजह से पौधे खराब हो सकते हैं. ऐसे में फसलों का नुकसान होता है साथ ही उपज और क्वालिटी में भी कमी देखने को मिलती है.

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इन फसलों को होता है नुकसान

रबी सीजन के मौसम में इन दिनों खेतों में आलू, गेहूं, चना, सरसों, मटर जैसी प्रमुख फैसलें लगी हैं. वहीं देश के कई राज्यों में इन दिनों शीतलहर का प्रकोप जारी है. पाले के चलते फसलों को काफी नुकसान भी हो रहा है. पाले से टमाटर, आलू, मिर्च, बैंगन जैसी सब्जियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है. वहीं फलों में पपीता और केले के पौधे को भी नुकसान होने की संभावना है.

ये हैं फसलों के बचाव के उपाय 

किसानों को पाला पड़ने की संभावना नजर आते ही बचाव के लिए फसलों पर गंधक की 0.1 फीसदी घोल का छिड़काव करना चाहिए, इससे फसलों पर पाले का असर कम होता है. वहीं इसके अलावा किसानों को 01 लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में स्प्रे करना चाहिए. अगर पाला पड़ने की संभावना बनी रहती है तो 15-15 दिन के अंतराल लगातार छिड़काव कर सकते हैं.

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