कड़ाके की ठंड से केला फसल प्रभाव‍ित, निर्यात में 30 प्रतिशत गिरावट की आशंका, करोड़ों का होगा नुकसान

कड़ाके की ठंड से केला फसल प्रभाव‍ित, निर्यात में 30 प्रतिशत गिरावट की आशंका, करोड़ों का होगा नुकसान

भारत केले का सबसे बड़ा उत्‍पादक देश है और निर्यात में भी आगे है. लेकिन, हाल के दिनों में लगातार पड़ रही ठंड से कई राज्‍यों में फसल प्रभावित हुई है. इसके कारण निर्यात में 30 प्रतिशत निर्यात घटने की आशंका है, जिससे निर्यातकों को करीब 200 करोड़ रुपये के नुकसान की आशंका है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 24, 2024,
  • Updated Dec 24, 2024, 5:39 PM IST

देश के ज्‍यादातर राज्‍यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है और कई राज्‍यों शीतलहर की स्थिति‍ देखने को मिल रही है. ऐसे में कड़ाके की ठंड से केला फसल प्रभावित हो रही है, जिसके चलते केले के निर्यात में 30 प्रतिशत गिरावट की आशंका है. ऐसा होने से निर्यातकों को लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. भारत केला उत्‍पादन में नंबर एक है. यहां महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्‍यों में प्रमुख से केले की खेती की जाती है, लेकिन न्‍यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस से नीचे चले जाने पर केला फसल प्रभावित हो रही है. यहां केले के रंग पर असर पड़ रहा है. वहीं, कटाई के लिए तैयार केलों को अंदर से नुकसान पहुंच रहा है.

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के अनुसार, ठंड से होने वाले नुकसान के कारण केले के निर्यात में 15-30 प्रतिशत की गिरावट आने की संभावना है. ऐसे में यह भारी नुकसान होगा. अगर ऐसा हुआ तो केले के निर्यात से इक्वाडोर और फिलीपींस जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को इसका लाभ मिलने की संभावना है.

लाल धब्‍बों के कारण गिरे केले के दाम

'बिजनेसलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, पिनाकल एग्रोटेक के बिजनेस हेड कौस्तुभ भामरे ने कहा कि कुछ व्यापारियों ने किसानों से 24-28 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से उपज का सौदा किया था, लेकिन कटाई के लिए तैयार केले के छिलके पर लाल धब्बे दिखने के बाद अब उनकी कीमतें गिरकर 8-14 रुपये पर पहुंच गई हैं.

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खाड़ी देशों में अभी भी केले की डिमांड

कौस्तुभ भामरे ने कहा कि तेज ठंड के कारण कुछ निर्यातकों को बड़ा झटका लगा है. उन्‍हें पहली बार रूस और ईरान से ऑर्डर मिले थे. वहीं, अभी पश्चिम एशिया और खाड़ी देशों में केले की अच्‍छी मांग बनी हुई है. कौस्‍तुभ भामरे ने कहा कि रूस और ईरान में रैगिंग युद्ध का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. महाराष्ट्र के जालना और शोलापुर में बड़े पैमाने पर रोबस्टा केले की खेती की जाती है. इस वैरायटी के केले की वैश्विक स्तर पर काफी मांग बनी हुई है. 

देश में बढ़ेगी केले की कीमतें

कौस्तुभ भामरे ने कहा कि खेतों में रोपण के लिए प्रयोगशाला में टिशू कल्‍चर के माध्यम से उगाए गए छोटे पौधों की भारी कमी है. केडिया कमोडिटीज के निदेशक अजय कुमार के अनुसार, आने वाले दिनों में घरेलू बाजार में केले के दाम बढ़ेंगे, क्योंकि किसान खराब क्‍वालिटी के कारण निर्यात के लिए बचे केलों को ट्रांसपोर्ट नहीं कर पाएंगे. भामरे ने कहा कि जल्दी रोपण और ठंड के मौसम से पहले फलों की कटाई से समस्या पर काफी हद तक काबू किया जा सकता है. 

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