पंजाब सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए बासमती चावल (Basmati Rice) के लिए खतरनाक माने जाने वाले 10 कीटनाशकों पर बैन (Pesticide Ban) लगा दिया है. इनमें एसेफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, हेक्साकोनोज़ोल, प्रोपिकोनाज़ोल, थियामेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, इमिडाक्लोप्रिड, कार्बेन्डाजिम और ट्राइसाइक्लाजोल नामक कीटनाशक शामिल हैं. इस संबंध में सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. इन पर 1 अगस्त, 2023 से प्रतिबंध होगा. जो अगले 60 दिन तक कायम रहेगा. इनकी बिक्री, वितरण और उपयोग पर रोक इसलिए लगाई गई है ताकि बासमती की अच्छी गुणवत्ता हो सके और एक्सपोर्ट में किसी तरह की बाधा न आए. यह किसानों और निर्यातकों के लिए खुशी की बात है लेकिन, एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री के लिए बड़े झटके के समान है. बासमती उत्पादक कुछ और राज्य भी इस पर रोक लगा सकते हैं.
पंजाब सरकार ने इस बारे में संबंधित पक्षों से राय लेने के लिए 11 जुलाई को एक बैठक बुलाई थी. इसमें एपिडा के अधीन आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन, पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन अमृतसर, क्रॉप लाइफ इंडिया और क्रॉप केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया को बुलाया गया था. लेकिन बाढ़ और बारिश की वजह से बैठक को रद्द कर दिया गया. क्रॉप लाइफ इंडिया के एक पदाधिकारी ने कहा कि एग्रो केमिकल इंडस्ट्री से कोई राय लिए बिना ही यह फैसला लिया गया है. हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं. हालांकि, इसकी खेती और एक्सपोर्ट से जुड़े दूसरे लोग इन कीटनाशकों पर बैन लगाने की पैरोकारी कर रहे थे. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय भी इन पर बैन के पक्ष में खड़ा था. इसलिए राज्य सरकार ने यह फैसला ले लिया. बैन से किसानों को फायदा होगा. उनका चावल एक्सपोर्ट गुणवत्ता के मानकों पर खरा उतरेगा.
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राइस क्वीन कहे जाने वाले सुगंधित, लंबे दाने वाले बासमती चावल के कई नमूनों में कुछ कीटनाशकों के अवशेष मिलने की वजह से इसके एक्सपोर्ट में बाधा आने की संभावना थी. इसलिए राज्य सरकार ने इन कीटनाशकों को बासमती चावल उत्पादकों के हित में नहीं माना. पंजाब सरकार ने कहा है कि इन कृषि रसायनों के उपयोग के कारण बासमती चावल के दानों में निर्धारित अधिकतम अवशिष्ट स्तर यानी एमआरएल (MRL-Maximum Residue limit) से अधिक कीटनाशक अवशेष होने का खतरा है. पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने पंजाब में बासमती चावल पर लगने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए वैकल्पिक कृषि रसायनों की सिफारिश की है.
कृषि विभाग पंजाब के स्पेशल चीफ सेक्रेटरी केएपी सिन्हा के नाम से दस कीटनाशकों को बैन करने का नोटिफिकेशन जारी हुआ है. इसके मुताबिक पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने भी रिपोर्ट दी थी कि उनके द्वारा परीक्षण किए गए कई नमूनों में इन कीटनाशकों का अवशेष बासमती चावल में एमआरएल मानकों से अधिक था. नोटिफिकेशन में कहा गया है कि एसोसिएशन ने इन कृषि रसायनों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है ताकि बासमती का उत्पादन और अन्य देशों में इसका परेशानी मुक्त निर्यात सुनिश्चित किया जा सके. एसोसिएशन के निदेशक अशोक सेठी ने इन कीटनाशकों पर बैन पर खुशी जताई है.
कीटनाशक अधिनियम, 1968 (1968 का केंद्रीय अधिनियम 46) की धारा 27 की उप-धारा (1) के तहत राज्य सरकार को 60 दिन के लिए किसी भी कीटनाशक को बैन करने की पावर है. लेकिन इसके तहत एग्रो केमिकल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास ही है. यहां राज्य सरकार ने बासमती किसानों और निर्यातकों का हित सुरक्षित रखने के लिए अपनी पावर का इस्तेमाल किया है. पंजाब बड़ा बासमती उत्पादक है.
बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि बासमती धान की खेती में कई तरह के रोग और कीट लगते हैं. जिनमें मुख्य तौर पर झोका रोग (Blast Disease) और जीवाणु झुलसा (Bacterial Leaf Blight) शामिल है. जिसके लिए किसान मजबूरी में कीटनाशक डालते हैं. जब चावल में उसका अवशेष मिलता है तब एक्सपोर्ट में वो फेल हो जाता है. इससे देश का नुकसान होता है और साख खराब होती है. साल 2022-23 में बासमती एक्सपोर्ट 38,524 करोड़ रुपये का हो गया है.
बासमती चावल में कीटनाशकों के अवशेष का सबसे कड़ा मानक यूरोपीय संघ में है. यहां कीटनाशकों की अधिकतम अवशेष सीमा 0.01 पीपीएम (0.01 मिलीग्राम/किग्रा) तय है. इसका अर्थ यह हुआ कि 100 टन चावल में 1 ग्राम अवशेष के बराबर. इससे ज्यादा होने पर चावल एक्सपोर्ट नहीं हो पाएगा. अमेरिका में यह 0.3 और जापान में 0.8 पीपीएम है. इसलिए बासमती चावल की खेती में कीटनाशकों का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर करना होता है. सूत्रों का कहना है कि जल्द ही बासमती उत्पादक दूसरे राज्य भी इन कीटनाशकों पर बैन लगा सकते हैं.
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