Agri Tourism: अब कृषि पर्यटन से कमाई करेंगे किसान, कोंकण क्षेत्र में 168 केंद्रों को मिली मंजूरी

Agri Tourism: अब कृषि पर्यटन से कमाई करेंगे किसान, कोंकण क्षेत्र में 168 केंद्रों को मिली मंजूरी

आमतौर पर शहरी लोगों को यह पता नहीं होता कि फल और सब्जियां कैसे उगती हैं. गेहूं, चावल, सरसों और दालें कैसे पैदा होती हैं. शहरी विद्यार्थियों को भी खेती के बारे में कम ही जानकारी होती है. ऐसे लोग कृषि पर्यटन करके न सिर्फ अपनी जानकारी दुरुस्त कर सकते हैं बल्कि जीवन की भागदौड़ से अलग कुछ दिन ग्रामीण परिवेश का आनंद भी ले सकते हैं. 

कृषि पर्यटन से अच्छी कमाई कर सकते हैं किसान (Photo-Kisan Tak).कृषि पर्यटन से अच्छी कमाई कर सकते हैं किसान (Photo-Kisan Tak).
सर‍िता शर्मा
  • Ratnagiri ,
  • Sep 13, 2023,
  • Updated Sep 13, 2023, 12:57 PM IST

भारत में अब धार्मिक पर्यटन के साथ साथ एग्री टूरिज्म  का क्रेज भी बढ़ रहा है. जहां पर्यटकों को न सिर्फ शांति का माहौल मिलता है बल्कि वो भारतीय पारंपरिक खेती-किसानी, पशुपालन और मछलीपालन से भी रूबरू हो पाते हैं. इसके प्रति बढ़ रही दिलचस्पी ने किसानों को भी इस तरफ सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. इसी कड़ी में महाराष्ट्र सरकार ने भी कदम बढ़ा दिया है. पर्यटन विभाग की कृषि पर्यटन नीति के तहत कोंकण डिवीजन में कृषि पर्यटन केंद्र शुरू करने के लिए 168 लोगों के आवेदन की मंजूरी दी है. कोंकण क्षेत्र अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है. किसान इसके जरिए अच्छी कमाई कर सकते हैं.

पर्यटन विभाग ने जिन 168 प्रस्तावों की मंजूरी दी है उनमें रत्नागिरी जिले के भी 23 प्रस्ताव शामिल हैं. एग्रीकल्चर टूरिज्म का मकसद न सिर्फ पैसा कमाना है बल्कि इससे ग्रामीण विकास करना, कृषि उत्पादों के लिए बाजार उपलब्ध कराना, ग्रामीण क्षेत्रों की लोक कलाओं और परंपराओं का प्रदर्शन करना, महिलाओं और युवाओं को गांव में ही रोजगार के अवसर प्रदान करना और शहरी लोगों व छात्र-छात्राओं को कृषि और खेती से रूबरू करवाना है. 

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शहरी लोग जान पाएंगे खेती का तौर-तरीका

आमतौर पर शहरी लोगों को यह पता नहीं होता कि फल और सब्जियां कैसे उगती हैं. गेहूं, चावल, सरसों और दालें कैसे पैदा होती हैं. शहरों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी खेती के बारे में कम ही जानकारी होती है. ऐसे लोग कृषि पर्यटन करके न सिर्फ अपनी जानकारी दुरुस्त कर सकते हैं बल्कि जीवन की भागदौड़ से अलग कुछ दिन ग्रामीण परिवेश का आनंद भी ले सकते हैं. गांव में रहने वालों का रहन-सहन जान सकते हैं. वो एक ही जगह अनाजों, बागवानी, डेयरी फार्मिंग, बकरी और भेड़ पालन आदि की जानकारी पा जाएंगे और ग्रामीण खान-पान का भी आनंद ले पाएंगे.
 

कोंकण में कृषि पर्यटन के कितने प्रस्ताव आए? 

मुर्गी पालन, रेशम, मधुमक्खी पालन, मत्स्य पालन आदि जैसे कृषि संबंधी विषयों पर एक जगह काम करके कोंकण के तटीय क्षेत्रों में कृषि-पर्यटन के विकसित होने की भरपूर संभावना है. कृषि-पर्यटन के काम की अनुमति लेने के लिए कोंकण के 256 संगठनों ने कृषि पर्यटन नीति के तहत प्रस्ताव प्रस्तुत किए थे. जिनमें से 243 जगहों पर जाकर वेरिफिकेशन किया जा चुका है. इनमें से 168 लोगों को यह काम करने की अनुमति दे दी गई है. अब ठाणे  में 27, पालघर में 38, रायगढ़ में 61, रत्नागिरी में 23 और सिंधुदुर्ग में 19 जगहों पर कृषि पर्यटन हो सकेगा.

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