Tamil Nadu Rice News: तमिलनाडु में एक बड़े स्तर पर धान या चावल की बर्बादी की खबरें हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में राज्य को सही स्टोरेज या भंडारण की सुविधाओं में कमी के चलते कई लाख टन धान को यूं ही बर्बाद होते हुए देखने को मजबूर होना है. इस वजह से सैंकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान भी राज्य ने झेला है. एक आरटीआई के जरिये से यह अहम जानकारी सामने आई है. हालांकि सरकार की तरफ से वास्तवित नुकसान कितने करोड़ रुपये का है, इसकी सही जानकारी नहीं दी गई है.
अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में भंडारण सुविधाओं में विस्तार के कई प्रयास जारी हैं लेकिन इसके बाद भी तमिलनाडु को साल 2019-20 से 2023-24 तक प्रत्यक्ष खरीद केंद्रों और गोदामों में इकट्ठा 3.72 मीट्रिक टन (एमटी) धान या चावल की बर्बादी का सामना करना पड़ा है. माना जा रहा है कि इस वजह से राज्य को कम से कम करीब 840 करोड़ रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ है. तमिलनाडु नागरिक आपूर्ति निगम (टीएनसीएससी)के पास दाखिल किए गए सूचना के अधिकार या आरटीआई के जरिये यह जानकारी सामने आई है. निगम ने वास्तविक आर्थिक नुकसान को पूरी तरह से खुलासा नहीं किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि यह आंकड़ा ज्यादा हो सकता है.
अखबार की मानें तो आंकड़ों से पता चला कि कई वजहों से हर साल 65,000 मीट्रिक टन से लेकर 1.25 लाख मीट्रिक टन धान या चावल राज्य में बर्बाद हो जाता है. तिरुवरुर, तंजावुर, नागपट्टिनम और पुदुकोट्टई जिलों में नुकसान खास तौर पर ज्यादा होता है. साल 2021-22 में राज्य भर में 1.37 लाख मीट्रिक टन धान या चावल बर्बाद हो गया. उस साल कुल 43.27 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई थी. इसे बाद में 28.5 लाख मीट्रिक टन चावल में बदल दिया गया. धान की खरीद पर हर साल जो खर्च आता है वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और धान की खेती के आधार पर 5,000 से 6,500 करोड़ रुपये है.
कई कारक जिनकी वजह से नुकसान होता है, इसके लिए जिम्मेदार हैं, इनमें अपर्याप्त या खराब रखरखाव वाली भंडारण सुविधाएं शामिल हैं - जैसे कि टपकती छतें, टूटी दीवारें और खुला स्टोरेज एरिया, धान को ठीक से न सुखाना, जिसके कारण नमी का स्तर बढ़ जाता है. इसके अलावा चूहों और कीड़ों का संक्रमण और लोडिंग के दौरान लापरवाही से संभालना जैसी वजहें भी बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, तमिलनाडु में इस समय 259 ऐसे गोदाम हैं जो ऑपरेशन में हैं. इनकी कुल भंडारण क्षमता 9.14 लाख मीट्रिक टन है. जबकि 123 बफर गोदाम हैं जिनकी क्षमता 9.08 लाख मीट्रिक टन है. वहीं 23 हाफ कर्व्ड शेड हैं जिनकी क्षमता 3.63 लाख मीट्रिक टन है.
इसके अलावा, धान को चावल में बदलने में देरी और डेल्टा जिलों में खुले खरीद केंद्रों पर सही मौसम न होने की वजह से भी इस तरह के नुकसान होते हैं. टीएनसीएससी, राज्य और केंद्र दोनों सरकारों के लिए पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम (पीडीएस) के तहत धान खरीद के लिए बनाई गई एक नोडल एजेंसी है. यह सीधे किसानों से या केंद्र सरकार की अथॉराइज्ड सेंटर्स से धान खरीदती है. घाटे को और कम करने के लिए टीएनसीएससी ने 2,700 मीट्रिक टन की कंबाइंड कैपिसिटी वाली छह आधुनिक चावल मिलों के निर्माण का प्रस्ताव दिया है. ये मिलें ज्यादा नमी वाले धान और ओपेन स्टोरेज से जुड़े मसलों को हल करने में मदद कर सकेंगी.
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