इस साल यानी 2023-24 के लिए केन्द्र सरकार ने खरीफ सीजन की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिए हैं. सात जून बुधवार को सरकार ने यह घोषणा की. इसमें इस साल के लिए मूंग की फसल के लिए एमएसपी 8558 रुपये प्रति क्विंटल है, जोकि पिछले साल से 803 रुपये ज्यादा है. राजस्थान में किसान महापंचायत ने बढ़ी हुई एमएसपी का स्वागत किया है, लेकिन इसे सी-2 (कॉम्प्रिहेन्सिव) के आधार पर घोषित करने की मांग की है.
किसान महापंचायत के अध्यक्ष रामपाल जाट ने किसान तक से कहा कि अगर सरकार सी-2 के आधार पर मूंग की एमएसपी घोषित करती तो यह 10,720 रुपये प्रति क्विंटल होती. इसीलिए हम एमएसपी घोषित करने के पैमाने और मापदंडों में सुधार की मांग कर रहे हैं.
रामपाल जाट ने किसान तक से कहा कि सरकार एमएसपी तो बढ़ाती है, जोकि स्वागत योग्य कदम है. लेकिन एमएसपी पर उपज की खरीद 25 प्रतिशत की ही करती है. यह दोहरा रवैया है. इसे सरकार को बदलना होगा. सरकार से हमारी मांग है कि किसी भी उपज की एमएसपी सी-2 के आधार पर तय हो और उस उपज की 100 फीसदी खरीद सुनिश्चित हो. तभी किसानों की आय बढ़ेगी.
जाट कहते हैं, “ अभी ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ के अंतर्गत मूंग के कुल उत्पादन में से 75% उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि से बाहर किया हुआ है. इस योजना के अंतर्गत मूंग के कुल उत्पादन में से 25% से अधिक की खरीद प्रतिबंधित है. इस प्रतिबंध के कारण मूंग उत्पादक किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाएगा. मूंग का देश के कुल उत्पादन में से आधा उत्पादन करने वाले राजस्थान के किसान इस लाभ से वंचित रहेंगे. भारत सरकार ने अरहर, उड़द एवं मसूर पर इस योजना के अंतर्गत आरोपित किए इस प्रकार के प्रतिबंधों को समाप्त कर उनके दाने दाने की खरीद का मार्ग प्रशस्त कर दिया है,लेकिन इसमें मूंग को छोड़ दिया गया है. जो मूंग उत्पादक किसानों के साथ भेदभाव है. यह भेदभाव समाप्त होने पर ही मूंग उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन मिल पाएगा. इसी से ही भारत सरकार की फसलों में विविधता लाने की घोषणा साकार हो पाएगी.”
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रामपाल जाट जोड़ते हैं कि इस साल बाजरा, ज्वार, रागी, मक्का जैसे मोटे अनाजों में पिछले वर्ष की तुलना में 128 से लेकर 268 रुपय प्रति क्विंटल तक की बढ़ोतरी हुई है. भारत सरकार ने प्रयास कर अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित कराया हुआ है. इसकी सार्थकता भी तभी है, जब इन के दाने-दाने की खरीद हो.
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घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों की प्राप्ति के लिए खरीद की गारंटी का कानून बनाना बेहद जरूरी है. भारत सरकार ने घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्यों की लागत पर लाभांश 50 से लेकर 82% तक दिखाया है. लेकिन यह लाभांश संपूर्ण लागत (C-2) के आधार पर नहीं है, बल्कि ‘A2 + एफ एल’ (एक्चुअल कॉस्ट+ फैमिली लेबर ) के आधार पर ही है. कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की ओर से C-2 लागत की गणना की बात कही जाती है. इसीलिए इस फॉर्मूले को ही संपूर्ण लागत कहा जाता है.