रबी सीजन की मुख्य फसलों की बुवाई लगभग खत्म हो चुकी है. इस सीजन में गेंहू, चना, सरसों जैसी फसल बोई जाती हैं , लेकिन प्याज की बुवाई भी इस सीजन में की जा सकती है. किसान नर्सरी से पौधे रोप कर या सीधे बीज फेंककर प्याज उगाते हैं.
जयपुर के कल्याणपुरा क्षेत्र में सब्जी उगाने वाले किसान बद्रीनारायण चौधरी इन दिनों अपने खेत में प्याज की रोपाई कर रहे हैं.
इससे पहले उन्होंने प्याज के पौधे तैयार करने के लिए खेत के ही एक हिस्से में नर्सरी तैयार की. इस नर्सरी में प्याज के पौधे करीब 35-40 दिन में तैयार हो गए. इसके बाद बद्री नारायण ने खेत को समतल कर उसमें पौधे रोपना शुरू कर दिया है. इस काम में उनकी पत्नी बद्री का साथ निभाती हैं.
प्याज के पौधे रोपने के बाद बद्री इसमें ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करेंगे. फिर अगली सिंचाई 3-4 दिन बाद होगी. इस तरह अगले चार महीने में बद्री नारायण के खेत में प्याज तैयार हो पाएगी. मार्च या अप्रैल तक खेत में प्याज की पैदावार हो सकेगी.
प्याज की खेती के लिए हम आपको मौसम, मिट्टी, प्याज की किस्म, जुताई का समय और प्याज की खुदाई के संबंध में जानकारी दे रहे हैं.
मौसमः
वैसे तो प्याज रबी और खरीफ दोनों सीजन में हो सकती है, लेकिन रबी सीजन में बुवाई के लिए नवंबर महीना सबसे अच्छा माना जाता है. प्याज रोपाई के समय मौसम सर्दी का होता है. इसीलिए प्याज खिलने तक तापमान में वृद्धि होने लगती है, जिसे कृषि विशेषज्ञ इसके अनुकूल मानते हैं.
मिट्टीः
प्याज भारत के हर एक राज्य में पैदा होती है. हालांकि इसके लिए सबसे अच्छी मिट्टी दोमट मानी जाती है. दोमट में प्रति हेक्टेयर 40 से 45 टन देसी खाद डालने से पैदावार अच्छी होती है.
एन-53ः इस किस्म की प्याज हमारे देश के हर क्षेत्र में की जा सकती है. यह 130-140 दिनों में तैयार होती है. प्रति हेक्टेयर लगभग 300 क्विंटल उत्पादन हो सकता है. हालांकि इसे खरीफ सीजन में उगाना ज्यादा सही माना जाता है.
बसवंत 780ः इस किस्म का प्याज रबी सीजन के लिए अच्छा माना जाता है. ये गहरे लाल रंग की होती है. करीब तीन महीने में यह पूरी तरह तैयार हो जाती है. इस किस्म की प्याज प्रति हेक्टेयर करीब 250 क्विंटल की पैदावार होती है.
एन-2-4-1ः यह किस्म रबी सीजन के लिए सही मानी जाती है. इसका रंग केसर जैसा होता है. इस किस्म की फसल 120-130 दिन में पक जाती है. प्रति हेक्टेयर उपज 300 क्विंटल से ज्यादा है.
बीज- रबी और खरीफ मौसम के लिए प्रति हेक्टयर 10-15 किलो बीज पर्याप्त होता है.
प्याज की खेती को खरपतवार से बचाना काफी जरूरी होता है. इसके लिए करीब 4 बार खेत की निराई-गुड़ाई करनी होती है.
प्याज की फसल तीन से चार महीनों में तैयार हो जाती है. नवंबर में बोई जाने वाली फसल अप्रैल या मई तक पक जाएगी. इसीलिए जैसे ही प्याज की गांठ अपना पूरा आकार ले लेती है तब उसकी पत्तियां सूखने लगती है. पत्तियां सूखने से 12-15 दिन पहले खेत की सिंचाई बंद कर देनी चाहिए. खेत के पूरा सूखने के बाद प्याज के कंदों को खोदा जा सकता है.