देश में राजस्थान को लेकर एक आम धारणा है कि वहां सिर्फ रेत ही रेत है और पानी की बेहद कमी है. लेकिन राजस्थान के लोगों ने प्रकृति की इस देन को खुद के लिए वरदान बना लिया है. बेहद कम पानी में खेती करने के अलग-अलग तरीके इजाद किए हैं. खासकर मोटे अनाजों के उत्पादन में राजस्थान के किसानों ने देश में अपनी छाप छोड़ी है. यही कारण है कि आज राजस्थान देशभर में मिलेट उत्पादन में पहले स्थान पर है. देश के कुल मिलेट उत्पादन में राज्य का 28.6 फीसदी योगदान है. वहीं, मिलेट्स की खेती के क्षेत्रफल में प्रदेश की 36 प्रतिशत हिस्सेदारी है.
एक सुखद संयोग यह भी है कि दुनिया में सबसे अधिक मिलेट्स भारत उगाता है, वहीं, भारत में सबसे अधिक मोटे अनाजों की खेती राजस्थान में होती है.
राजस्थान की पहचान देश में सबसे अधिक बाजरा उगाने वाले राज्य के तौर पर है. लेकिन यह जानना बेहद सुखद है कि प्रदेश में मोटे अनाज के तौर पर सिर्फ बाजरा ही नहीं उगाया जाता बल्कि सांवा, कांगनी,कोदो तथा कुटकी का उत्पादन भी किया जाता है. हालांकि इनकी मात्रा बेहद कम है, लेकिन प्रदेश के किसानों की मोटे अनाज पैदा करने की सदियों पुरानी परंपरा है. इसीलिए राज्य के किसान मोटे अनाज उगाते हैं.
राज्य में पैदा होने वाले मोटे अनाज में बाजरा और ज्वार प्रमुख हैं. राजस्थान सरकार में कृषि आयुक्त कानाराम बताते हैं, “बाजरे के उत्पादन में 41.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ राज्य देश में पहले पायदान पर है, वहीं ज्वार के उत्पादन में तीसरे पायदान पर है. बाजरा और ज्वार के अलावा प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य दक्षिणी जिलों डूंगरपुर, बांसवाड़ा, जालोर एवं सिरोही के क्षेत्रों में मोटे अनाज में सांवा, कांगनी,कोदो तथा कुटकी का उत्पादन भी किया जाता है.”
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कानाराम बताते हैं कि राज्य सरकार द्वारा मोटे अनाज के उत्पादन में वृद्धि एवं घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए वर्ष 2022-23 में ‘राजस्थान मिलेट प्रोत्साहन मिशन’ शुरू किया गया है. साथ ही कृषकों, उद्यमियों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं को 100 प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए 40 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया है.
वहीं, मोटे अनाजों को प्रमोट करने के लिए राज्य सरकार ने पोष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की दृष्टि से मिड-डे-मील, इंदिरा रसोई व आईसीडीएस योजनाओं में मोटे अनाज को शामिल किया है. बता दें कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘फिट राजस्थान’ का नारा दिया था. इसे पूरा करने के लिए मिलेट्स प्रमोशन एक सार्थक पहल है.
उन्नत फसल के लिए राज्य सरकार ने मोटे अनाजों की खेतों को प्रोत्साहन दिया है. इसके लिए सरकार ने की ओर से बाजरा व ज्वार के बीज मिनिकिट्स का निःशुल्क वितरण किया जा रहा है. इसके तहत खरीफ 2022 में अधिक उपज देने वाली किस्म के बाजरा बीज के 8.32 लाख मिनीकिट वितरित किए गए हैं.
इस वित्तीय वर्ष में भी राज्य सरकार आठ लाख कृषकों को संकर बाजरा बीज के मिनीकिट निशुल्क उपलब्ध कराएगी. साथ ही मूल्य संवर्धन एवं फसलोत्तर बेहतर प्रबंधन के लिए पांच करोड़ रुपये की लागत से मिलेट्स उत्कृष्टता केन्द्र जोधपुर में स्थापित किया जा रहा है.
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सुपर फूड कहलाने वाले मोटे अनाज के प्रति वैश्विक स्तर पर जागरूकता पैदा हुई है और दुनियाभर में इसकी स्वीकार्यता तेजी से बढ़ रही है. भारत सरकार की ही पहल पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है. मोटे अनाज में बाजरा, ज्वार, रागी एवं कोदो जैसे धान्य को शामिल किया गया है. क्योंकि इनमें पोषक तत्वों की मात्रा ज्यादा होने तथा प्रोटीन, विटामिन-बी एवं खनिज भरपूर मात्रा में होने के कारण वैज्ञानिको ने मोटे अनाज को ’पौष्टिक धान्य’ का दर्जा दिया है. केन्द्र सरकार ने भी मोटे अनाजों को श्रीअन्न नाम दिया है.
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