क्लाइमेट चेंज की वजह से पारंपरिक खेती पर विपरीत असर देखा जा रहा है. किसान घाटे में जा रहे हैं. इसी में नई पीढ़ी के कुछ युवा किसान ऐसे हैं, जिन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया है. ऐसे किसान खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. राजस्थान के सिरोही में एक युवा किसान ने अपनी पथरीली जमीन को उपजाऊ बना कर उसमें सफ़ेद और लाल आलुओं की दो नई किस्म बोई है.
आलू की इन दो फसलों में एक फसल तो लगभग पक कर तैयार है और दूसरी किस्म भी महीने भर के अंतराल में तैयार हो जाएगी. राजस्थान में सिरोही जिले के गांवों में आजीवका का मुख्य साधन आज भी खेती किसानी ही है. लेकिन क्लाइमेट चेंज की वजह से मौसम की मार ने पारंपरिक खेती में बदलाव लाया है.
सिरोही के युवा किसान पारंपरिक खेती छोड़ कर नए-नए प्रयोग कर रहे हैं. जीरा, सौंफ, अरंडी, गेहूं की पैदावार वाले इलाकों में नई पीढ़ी के किसान आलू की फसल बो रहे हैं. सिरोही जिला मुख्यालय से तक़रीबन 25 किलोमीटर दूरी पर स्थित भूतगांव के 34 वर्षीय युवा किसान दिनेश माली ने संताना और एल.आर. किस्म के आलुओं की 80 बीघा में फसल बोई है.
युवा किसान दिनेश माली ने बताया कि वे पपीते का व्यापार करते थे. इस दौरान उनका अक्सर गुजरात आना जाना होता था. आलू की इस स्पेशल क्रॉप को बोने का आइडिया उन्हें वही से मिला. दिनेश माली ने बताया कि इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की है.
इस किसान ने पहले तो फसल बोने के लिए लाल मिट्टी की अपनी पथरीली जमीन को उपजाऊ बनाया. फिर गुजरात से एल.आर. लाल रंग के आलू और संताना सफ़ेद आलू अपनी 80 बीघा जमीन में बोया है. दिनेश माली के खेतों में उगी आलुओं की यह फसल उनकी पहली फसल है. इसे उन्होंने नवंबर के महीने में बोया था.
दिनेश माली ने 30 बीघे में लाल आलू बोया है. गोल आकार के लाल आलू को एल.आर. के नाम से जाना जाता है. 8-10 बीघा प्रति टन के औसत से इसकी फसल 120 दिनों में तैयार हो जाती है. सफ़ेद आलू को संताना नाम से जाना जाता है. यह आकर में लंबा होता है. इसकी फसल को तैयार होने में 90 दिन का समय लगता है.
दिनेश माली बताते हैं कि शॉर्ट टर्म की इस खेती में पानी, खाद, निराई-गुड़ाई का सही ध्यान रखते हुए अगर आलू बोया जाए तो यह फसल फायदे का सौदा है. अपने खेतों में फसल तैयार करने के साथ ही दिनेश माली ने अपने आलुओं को बेचने का इंतजाम भी कर लिया था.
दिनेश ने बाकायदा एक कंपनी से एग्रीमेंट कर आलुओं की फसल तैयार होने के बाद उसे उचित दाम पर बेचने का सौदा किया हुआ है. दिनेश ने बताया कि सफ़ेद संताना आलू 11.50 रुपये प्रति किलो और लाल एल.आर.आलू 12.50 रुपये प्रति किलो के मूल्य पर बिकता है.(रिपोर्ट/राहुल त्रिपाठी)