पंजाब के संगरूर में शुरू हुई धान की सीधी बिजाई, एक एकड़ में 5000 रुपये बचा सकते हैं किसान

पंजाब के संगरूर में शुरू हुई धान की सीधी बिजाई, एक एकड़ में 5000 रुपये बचा सकते हैं किसान

संगरूर में किसानों ने धान की सीधी बुवाई शुरू कर दी है. धान की सीधी बुवाई करने से किसानों को प्रति एकड़ 5000 रुपये तक की बचत होती है. साथ ही पानी की भी बचत होती है. सरकार इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 1500 रुपये तक की सब्सिडी भी दे रही है. इसके साथ ही अब सीधी बुवाई तकनीक अपनाने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है.

धान की सीधी बुवाई (सांकेतिक तस्वीर)धान की सीधी बुवाई (सांकेतिक तस्वीर)
बलवंत सिंह विक्की
  • Sangrur,
  • May 17, 2024,
  • Updated May 17, 2024, 10:43 PM IST

पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा धान की खेती होती है. वैसे धान की बुवाई का समय 15 जून से शुरू होता है लेकिन पंजाब के किसान अब धान की सीधी बिजाई विधि को अपना रहे हैं. किसान अपने खेतों में बिना पानी के इस्तेमाल से ही डीएसआर मशीन के उपयोग से धान की सीधी बुवाई कर रहे हैं. पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी किसानों से अपील करते हुए कहा था कि वो धान की सीधी बिजाई करें.

इससे भूजल-स्तर की बचत होगी क्योंकि इस विधि में खेत में पानी भरकर नहीं रखना पड़ता है. इसके फायदों को जानते हुए इस बार बड़ी संख्या में किसानों से धान की सीधी बुवाई शुरू कर दी है. किसानों का कहना है कि इस विधि को अपना कर उन्हें प्रति एकड़ अधिक पैदावार हासिल होगी. प्रति एकड़ कृषि लागत में भी कमी आएगी. किसानों को इस विधि में 4000 रुपये प्रति एकड़ का खर्च आता है. 

ये भी पढ़ेंः सोयाबीन की इन आठ किस्मों की खेती करें किसान, बंपर उपज के साथ बढ़ेगी कमाई

कैसे होती है धान की सीधी बिजाई

पंजाब और हरियाणा में जून महीने में धान की बुवाई का सीजन शुरू हो जाता है. धान की खेती करने के लिए खेत में पानी भरना पड़ता है. इसके लिए बारिश नहीं होने पर सबसे अधिक किसान भूजल का इस्तेमाल करते हैं. इसके बाद धान पकने तक खेत में पानी जमा रखना पड़ता है. इसके लिए प्रति एकड़ 3000 से लेकर 5000 रुपये के बीच मजदूरी का खर्च आता है. खेत की जुताई के लिए प्रति एकड़ 3000 रुपये तक का खर्च आता है. लेकिन सीधी बिजाई के साथ लेबर का पूरा खर्च बच जाता है. डीएसआर विधि में सिर्फ दो मजदूर एक दिन में एक ट्रैक्टर और डीएसआर मशीन के साथ कई एकड़ खेत में धान की सीघी बिजाई कर देते हैं. डीएसआर विधि से धान की बुवाई को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से किसानों को 1500 रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी भी दी जाती है. वहीं किसान भी बताते हैं कि इसमें कम पानी की खपत होती है और प्रति एकड़ पैदावार में चार क्विंटल तक की बढ़ोतरी होती है. 

धान की खेती में बचत ही बचत

संगरूर के बालिया गांव के किसान दर्शन सिंह ने बताया कि वह पिछले 4 साल से डीएसआर विधि से धान की बुवाई कर रहे हैं. उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है. सरकार भी 1500 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मदद करती है. इसमें पानी की बहुत बचत होती है और एक एकड़ में 5 क्विंटल धान ज्यादा पैदावार होती है. इससे किसानों को 10 से 12000 रुपये का मुनाफा हो जाता है. दर्शन सिंह ने बताया कि इस बार वे 10 एकड़ में धान की सीधी बिजाई तकनीक से खेती करने जा रहे हैं जिसमें पीआर 126,27 और बासमती 1509 धान की बिजाई डीएसआर मशीन के साथ की जाएगी. साथ ही बताया कि सिर्फ दो लोगों ने मिलकर 5 एकड़ में धान की बिजाई कर दी है.

ये भी पढ़ेंः इस बार खरीफ सीजन में फसलों पर टिड्डियों का कितना खतरा? सर्वे में मिली ये चौंकाने वाली जानकारी 

सीधी बिजाई के लिए किसान तैयार

संगरूर एग्रीकल्चर विभाग के चीफ डॉक्टर हरबंस सिंह चाहल ने जानकारी देते हुए बताया कि संगरूर में किसानों का रुझान बढ़ रहा है. पिछली बार भी बड़े स्तर पर किसानों ने डीएसआर मशीन के इस्तेमाल से धान की सीधी बुवाई की थी. इस बार भी किसानों ने इसकी शरुआत कर दी है. इस विधि से खेती करने के कई फायदे हैं. पहला, इस विधि में पानी की बहुत बचत होती है, क्योंकि बिजाई के 21 दिन बाद उसको पानी देना पड़ता है. दूसरा, बारिश के समय पानी डायरेक्ट जमीन में चला जाता है. प्रति एकड़ किसानों को 4000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की बचत होती है. उन्होंने कहा कि वो गांव में कैंप लगाकर किसानों को सीधी बुवाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

 

MORE NEWS

Read more!