पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण पंजाब के फाजिल्का में लगभग 20,000 एकड़ में खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं. इस मुद्दे पर प्रभावित किसान प्रशासन पर समय पर कार्रवाई न करने का आरोप लगा रहे हैं. सबसे ज़्यादा प्रभावित फाज़िल्का उपमंडल है, जहां आधिकारिक आंकड़े कम से कम 20 गांवों की फसल डूबने की पुष्टि करते हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक, फाज़िल्का उपमंडल के 20 गांवों में 11,700 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन पर धान और कपास की फसलें लगी थीं, जो पूरी तरह से जलमग्न हो चुकी हैं. किसान इस बाढ़ के लिए जाम नालों और मानसून-पूर्व सफाई की कमी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
सरजाना गांव के निवासी गुरमीत सिंह ने कहा कि कोई व्यवस्था नहीं की गई. हम अपने हाल पर हैं. उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि मेरी पूरी फसल बर्बाद हो गई और मवेशियों के लिए चारा भी नहीं है. हालांकि डिप्टी कमिश्नर कौर संधू ने कहा कि पानी निकालने के लिए पंप लगा दिए गए हैं. उप-मंडल अधिकारी (ड्रेनेज) जगदीप सिंह ने बताया कि ऊंचे इलाकों से बारिश का पानी निचले फाजिल्का में आने के कारण बाढ़ आई. इस बीच, टाहलीवाला बोदला, सिंहपुरा और चहलन गांवों में भी लगभग 1,500 एकड़ की फसलें प्रभावित हुई हैं. यहां के किसानों ने तत्काल जल निकासी की मांग करते हुए फाजिल्का-मलोट सड़क को ब्लॉक कर दिया.
इस मामले पर टाहलीवाला बोदला के सरपंच सुनील कुमार ने बताया कि करीब 1500 एकड़ में खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने वाले पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरजीत सिंह ज्याणी ने कहा कि प्रशासन को बारिश के पानी की निकासी के लिए ठोस योजना बनानी चाहिए थी. वहीं जिला भाजपा अध्यक्ष काका कंबोज ने कहा कि सरकार को उन किसानों को उचित मुआवजा देना चाहिए जिनकी फसलें नष्ट हो गई हैं. आप विधायक जगदीप कंबोज ने भी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और कहा कि उन्होंने राजस्व अधिकारियों को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं ताकि प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जा सके.
वहीं पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी हाल कुछ ऐसा ही है. भिवानी, रोहतक, हिसार, जींद, कुरुक्षेत्र समेत हरियाणा के कई जिलों में हजारों एकड़ जमीन जलमग्न हो गई है. इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है. इस बार फसल बर्बाद हो गई है और आने वाले सीजन का भी कोई भरोसा नहीं है. इसको लेकर कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंगलवार को प्रभावित किसानों के लिए 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की मांग की है. हुड्डा ने कहा कि राज्य सरकार बारिश के पानी की निकासी के लिए व्यवस्था करने में विफल रही है. इसलिए किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को जल्द ही गिरदावरी (सर्वेक्षण) करानी चाहिए और 50,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देना चाहिए.
(सोर्स- PTI)
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