देश के कई कपास किसान अपनी उपज को रोक कर बैठे हुए हैं. किसानों को उम्मीद है कि फरवरी-मार्च या उसके बाद कपास के अच्छे दाम मिल सकते हैं. पिछले साल भी ऐसी ही स्थिति बनी थी जब साल के शुरू में कपास के रेट गिरे थे, पर बाद में बढ़ गए थे. जिन किसानों ने अपनी उपज को रोक कर रखा था, उन्हें अच्छा फायदा मिला था. इस बार भी किसान बेहतर फायदे के लिए कपास को स्टोर किए हुए हैं. इस बार केंद्र सरकार ने देश में कपास की बंपर पैदावार की उम्मीद जताई है.
कपास उद्योग से जुड़ी एक टीम ने हाल में महाराष्ट्र का दौरा किया था. इस टीम ने पाया कि किसान अच्छे दाम की उम्मीद में अपनी कपास को रोके बैठे हैं. किसानों ने घरों में, यहां तक कि छतों पर कपास को स्टोर किया हुआ है. ऐसी ही एक रिपोर्ट आई जिसमें तेलंगाना और कर्नाटक में किसान अपने घरों की छतों पर कपास स्टोर करते पाए गए. इन किसानों को उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में कपास के रेट बढ़ सकते हैं. ऐसे में अगर किसान अपनी उपज को बेचेंगे तो उन्हें बेहतर फायदा होगा.
एनसीएमएल के एमडी और सीईओ ने 'बिजनेसलाइन' को बताया कि केवल महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश के सभी बड़े कपास उत्पादक राज्यों में किसानों ने अपनी उपज को रोक कर रखा है. किसान अगले कुछ दिनों में कपास के बेहतर रेट की उम्मीद कर रहे हैं, इसलिए वे अभी कपास नहीं बेचना चाहते हैं. एक व्यापारी ने बताया कि महाराष्ट्र के किसानों से इस बात की उम्मीद कम रहती है कि वे अपनी उपज को रोक कर रखेंगे. लेकिन वे भी इस बार अपनी उपज को नहीं निकाल रहे हैं, इसका मतलब है कि कपास का उत्पादन बंपर होने वाला है.
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महाराष्ट्र के सभी किसान ऐसे नहीं हैं जिन्होंने अपनी उपज को रोक कर रखा है. छोटे और सीमांत किसानों ने कपास पहले ही बेच दिए हैं क्योंकि उन्हें खेती की लागत निकालनी है. अधिक दिनों तक अगर किसान अपनी उपज को रोक कर रखेंगे तो जोखिम बढ़ने का खतरा रहेगा. अगर कपास के रेट नहीं बढ़े और नई आवक होने के बाद रेट और गिर गए तो किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ सकता है. इस डर से छोटे और सीमांत किसान जल्दी में कम रेट पर या कम फायदा लेते हुए निकाल देते हैं.
राजकोट के कपास व्यापारी आनंद पोपट बताते हैं, इस बार महाराष्ट्र के किसानों ने गुजरात के किसानों की तुलना में अधिक कपास को रोके रखा है. ऐसी स्थिति लगभग उन सभी प्रदेशों में है जहां कपास की खेती होती है. कपास चूंकि मार्केट में नहीं आ रहा है, इसलिए दाम को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. आगे दाम किस रेट तक जाएंगे, इसे लेकर किसान और व्यापारी दोनों परेशान हैं.
किसानों की चिंता मंगलवार को तब और बढ़ गई जब कृषि मंत्रालय ने इस बार देश में कपास की उपज कम होने का अनुमान जताया. सरकार ने पहले अपने अनुमान में 341.91 लाख गांठ कपास होने की बात कही थी, लेकिन मंगलवार को इसे घटाते हुए 337.23 लाख गांठ कर दिया गया. दूसरी ओर, अमेरिकी कृषि विभाग ने अपने अनुमान में भारत के कपास उत्पादन को और भी कम बताया है. अमेरिकी विभाग ने भारत में इस साल 326.58 लाख बेल्स कपास होने का अनुमान जताया है.