तेलंगाना में छत पर तो महाराष्ट्र में घर के अंदर कॉटन स्टोर करने को मजबूर हुए क‍िसान

तेलंगाना में छत पर तो महाराष्ट्र में घर के अंदर कॉटन स्टोर करने को मजबूर हुए क‍िसान

अच्छे दाम की उम्मीद में कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र में काफी किसानों ने अपने घर की छतों और कुछ ने पीछे कपास की स्टोरेज की हुई है.पिछले साल के मुकाबले इस साल दाम 5000 रुपये प्रति क्विंटल कम है. 

किसान कपास को अपने घर और छतों पर कर रहे हैं स्टोर.किसान कपास को अपने घर और छतों पर कर रहे हैं स्टोर.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Feb 08, 2023,
  • Updated Feb 08, 2023, 4:13 PM IST

देश में कॉटन (कपास) की खेती करने वाले क‍िसान इन द‍िनों अजीब मुश्क‍िल में हैं. तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक के कई ज‍िलों में कॉटन का बेहतर उत्पादन हुआ है. लेक‍िन, क‍िसान, अपनी उपज बेचने से परहेज कर रहे हैं. आलम ये है क‍ि दोनों ही राज्यों के क‍िसान अपनी फसल को स्टोर कर रहे हैं, ज‍िसमें तेलंगाना के क‍िसान छतों पर कॉटन को स्टोर कर रहे हैं. तो महाराष्ट्र के कई ज‍िलों के क‍िसान घरों के अंदर अपनी फसल को स्टोर करने को मजबूर हैं. ऐसे मामले चुन‍िंदा नहीं है. दोनों ही राज्यों में बड़ी संख्या में जहां जगह म‍िल रही है, वहां पर कॉटन को स्टोर कर रहे हैं. क‍िसानों की इस मजबूरी का मुख्य कारण काॅटन का भाव है. आइए जानते हैं क‍ि पूरा मामला क्या है.    

 प‍िछले साल की तुलना में कम म‍िल रहा है भाव

कॉटन के अच्छे दाम की प्रतीक्षा में किसान कपास की फसल को स्टोर कर रहे हैं. इस साल उन्हें पहले जैसा दाम नहीं मिल रहा है. पिछले साल 12000 से 13000 रुपये प्रति क्विंटल तक के दाम पर कॉटन की बिक्री हुई थी, जबकि इस साल मात्र 8000 या उससे भी कम दाम है.लेकिन, उम्मीद पिछले साल जैसे ही दाम की है इसलिए वो बड़े पैमाने पर कपास की फसल को स्टोर कर रहे हैं. गुजरात में किसान 75 फीसदी फसल रोके हुए हैं. कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र में काफी किसानों ने अपने घर की छतों और कुछ ने पीछे कपास की स्टोरेज की हुई है. कर्नाटक के रायचूर जिले में बड़ी संख्या में किसानों ने ऐसा किया हुआ है. महाराष्ट्र में कुछ किसानों ने अपने खेत में अस्थायी जगह बनाकर कपास का स्टॉक करके रखा है. हालांकि, उसकी देखभाल करनी पड़ रही है. 

अच्छा दाम मिलने का जुगाड़

महाराष्ट्र में किसानों ने बताया कि वो अपने घर में कपास का स्टोर कर रहे हैं. और कुछ किसान घर में कपास जमा करके रखने की जगह नहीं होती, इसलिए वो घर के बाहर इसे स्टोर कर रहे हैं. लेकिन, ऐसा लंबे वक्त तक नहीं किया जा सकता. क्योंकि उसमें कीट लग रहे हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है, जब किसान कपास को स्टोर करने के लिए इतने जुगाड़ लगा रहे हैं. ताकि दाम अच्छा मिले. 

ये भी पढ़ें: Banana Price: महाराष्ट्र में 4000 रुपये क्व‍िंटल तक पहुंच गया केले का दाम

कितनी कम आवक?

 एक अक्टूबर, 2022 को शुरू हुए कपास के मौजूदा मौसम की शुरुआत के बाद से, किसान अपनी उपज को रोके हुए हैं. इससे टेक्सटाइल कंपनियां पूरी क्षमता पर नहीं चल पा रही हैं.कृषि मंत्रालय की इकाई एगमार्कनेट के आंकड़ों के अनुसार, 1 अक्टूबर, 2022 और 6 फरवरी के बीच कपास की आवक कम से कम 30 प्रतिशत कम रही है. इस दौरान आवक कम होकर 125 लाख गांठ (170 किलोग्राम) रही, जो एक साल पहले इसी अवधि के दौरान 190.5 लाख गांठ थी. 

रेट को लेकर किसानों की बढ़ रही है चिंता

राजकोट के गोंडल कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) यार्ड में कच्चे कपास के लिए मॉडल मूल्य (जिस दर पर अधिकांश व्यापार होता है) एक सप्ताह पहले के 8,405 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 8,205 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. जबकि, कर्नाटक एपीएमसी यार्ड में कीमतें गिरकर 7,700 रुपये प्रति क्विंटल रह गई हैं, जो एक सप्ताह पहले 7,900 रुपये था.

ये भी पढ़ें: अल्फांसो आम का करना पड़ सकता है इंतज़ार, जलवायु पर‍िवर्तन का उत्पादन पर भी असर! 

MORE NEWS

Read more!