मध्य प्रदेश में गेहूं की एमएसपी पर सरकारी खरीद की प्रक्रिया 5 मई को खत्म हो गई, लेकिन सरकार ने अभी भी कई किसानों को 9 मई तक गेहूं बेचने का मौका दिया है. ऐसे में जानिए आखिर पूरा मामला क्या है और कौन-से किसान फसल बेचने के लिए पात्र हैं… दरअसल, ऐसे किसान जिन्होंने स्लॉट तो बुक किए थे, लेकिन उनकी वैलिडिटी खत्म हो गई है, उन्हें 9 मई तक अपनी फसल बेचने का मौका दिया गया है. इसके लिए अफसरों को डीएसओ लॉगिन के जरिए स्लॉट की अवधि बढ़ाने के लिए कहा गया है. इसे लेकर खाद्य विभाग ने अफसरों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं.
वहीं, सरकार ने 5 मई तक खरीद के लिए 30 अप्रैल तक स्लॉट बुक करने की मोहलत दी थी, लेकिन खरीद के अंतिम दिन भी किसानों को ऑफलाइन स्लॉट बुक करने का ऑप्शन दिया गया और वे फसल बेच सके. मालूम हो कि प्रदेश में गेहूं खरीद की प्रक्रिया 15 मार्च से 5 मई तक चली. इस दौरान किसानों को 2425 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी और 175 रुपये प्रति क्विंटल बोनस का भुगतान किया गया यानी 2600 रुपये प्रति क्विंटल. हालांकि, उपज में नमी और क्वालिटी के चलते कीमत में अंतर आना सामान्य है.
मध्य प्रदेश में इस साल गेहूं की अच्छी फसल हुई है, जिसके चलते मंडियों में नई फसल की बंपर आवक दर्ज की गई. राज्य के सीएम मोहन यादव ने दावा किया कि प्रदेश में किसानों को गेहूं की जितनी कीमत मिल रही है, वह सभी राज्यों के मुकाबले सबसे ज्यादा है. व्यापार से जुड़े लोगों का कहना है कि एमएसपी और बोनस मिलने के कारण किसानों ने निजी व्यापारियों की जगह सरकारी एजेंसियाे को गेहूं बेचना पसंद किया. बीते हफ्ते ही केंद्र ने मध्य प्रदेश का गेहूं खरीद लक्ष्य मिलियन टन बढ़ा दिया था.
वहीं, देश के अन्य राज्यों में भी केंद्रीय पूल के तहत गेहूं की खरीद चल रही है. पिछले महीने केंद्र सरकार ने सभी प्रमुख राज्यों में गेहूं खरीद को लेकर आंकड़े जारी किए थे. इसमें 30 अप्रैल 2025 तक रबी मार्केटिंग सीजन यानी आरएमएस 2025-26 के दौरान गेहूं की खरीद के लिए तय 312 लाख मीट्रिक टन के अनुमानित लक्ष्य की तुलना में केंद्रीय पूल में 256.31 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है. इस साल 30 अप्रैल तक खरीदे गए गेहूं की मात्रा पिछले साल की इसी तारीख को हुई कुल खरीद 205.41 लाख मीट्रिक टन से 24.78 प्रतिशत ज्यादा है. प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पिछले साल के मुकाबले इस साल ज्यादा खरीद हुई है.