झारखंड में इस बार गंभीर सूखा पड़ा है. राज्य के 24 में से 22 जिले गंभीर सूखे के संकट का सामना कर रहे हैं. बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती पर जबरदस्त असर हुआ है. इसके अलावा सिंचाई की व्यवस्था नहीं हो पाने से रबी की फसल, खास कर गेंहू प्रभावित हुआ है. ऐसे में राज्य में सूखा प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने के लिए हेमंत सरकार ने मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना शुरू की थी. योजना के तहत किसातों के 3500 रुपये दिए जाने थे. पर अब लग रहा है कि यह योजना भी कुव्यवस्था ही भेंट चढ़ रही है. किसानों को राहत के नाम पर कुछ अग्रिम राशि भर मिली है.
शुरुआती दौर में बारिश की कमी के कारण झारखंड के 226 प्रखंडों में गंभीर सूखा पड़ा. इसके कारण किसान झारखंड की सबसे महत्वपूर्ण फसल धान की खेती नहीं कर पाए. राज्य में सूखे की चपेट को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा किसानों को राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री सुखाड़ राहत योजना शुरू की गई. सूखा राहत पोर्टल के अनुसार 15 फरवरी 2023 तक 31,98,994 किसानों ने आवेदन दिया है. वहीं स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 32.50 लाख किसानों ने सूखा राहत का लाभ लेने के लिए आवेदन दिया है.
खरीफ का सीजन बीत चुका है. इस बीच किसान रबी की खेती भी नहीं कर पाए हैं. इससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. इसके अलावा सबसे अहम बात यह है कि किसान सूखा राहत की राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि राज्य के 13.17 लाख किसानों को राज्य सरकार ने अपने स्तर से 3500-3500 रुपये की अग्रिम राशि दी है, जो केंद्रीय मदद मिलने पर काट ली जाएगी. राहत योजना के तहत एक भी किसान को पैसा नहीं नहीं मिला है, किसानों को जो भी राशि मिली है, वह अग्रिम के तौर पर दी गई है.
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झारखंड में सूखे के हालात का जायजा लेने के लिए केंद्र की टीम ने भी झारखंड का दौरा किया था. इसके बाद किसानों को सूखे से राहत दिलाने के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 9500 करोड़ रुपये की मांग की है.
अगर प्रमंडलवार आवेदनों की बात करें तो सूखा राहत पोर्टल के मुताबिक 12 लाख से अधिक संताल परगना के किसानों से सूखा राहत के लिए आवेदन दिया है. कुल 32 लाख में लगभग 17 लाख ऐसे किसान हैं जिन्होंने बारिश की कमी के कारण धान की बुवाई नहीं की. इनमें 10 लाख ऐसे किसान हैं जिनकी फसलों का नुकसान 33 फीसदी से अधिक है. इसके अलावा मुख्यमंत्री सूखा राहत योजना के तहत साढ़े पांच लाख ऐसे आवेदन आए हैं जो भूमिहीन किसानों के हैं. ऐसे में अब तक राहत की राशि नहीं मिल पाने के कारण किसान काफी परेशान हैं.