झारखंड में कृषि के साथ साथ वनोपज की भी काफी संभावनाएं हैं, इसे देखते हुए राज्य सरकार कार्य कर रही है ताकि राज्य के वन क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को वनोपज के जरिए ही बेहतर राजगार उपलब्ध कराया जा सके. राज्य के वनोत्पाद को बढ़ावा देने के लिए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पलामू जिले मेदिनीपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी सरकार वन उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करेगी और इसके लिए बाजार सुनिश्चित करेगी. जाहिर सी बात है वनोपज की एमएसपी तय हो जाने का फायदा यहां के उन लाखों लोगों को मिलेगा जो अपनी अजीविका के लिए वनों पर निर्भर है.
इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पलामू जिले के गैंके गांव में 28 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित राज्य संचालित मेधा डेयरी के दूध प्रसंस्करण संयंत्र का उद्घाटन भी किया. इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड कृषि और वन उपज के मामले में एक समृद्ध राज्य है, इसलिए इसका फायदा यहां के लोगों को मिलना चाहिए. उन्होंने कहा की वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों की बेहतर आजीविका के लिए राज्य सरकार वन उपज के लिए एमएसपी तय करेगी ताकि लोगों को अपनी मेहनत की उचित कीमत मिल सके.
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सभा में हेमंत सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार राज्य के वन उपज को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. झारखंड में वनोपज को बढ़ावा देने के लिए सिद्धो कान्हो कृषि एवं वन उपज महासंघ का गठन किया गया है. इसके जरिए कृषि और वन उपज को एक बेहतर बाजार उपलब्ध कराया जाएगा और उसका एमएसपी भी तय किया जाएगा ताकि वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों को उनके उत्पाद के उचित मूल्य मिल सकेंगे. राज्य में दूध उत्पादन के जरिए किसानों की आय बढ़ाने को लेकर राज्य संचालित मेधा डेयरी के दूध प्रसंस्करण संयंत्र का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार किसानों को सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही है. साथ ही कहा कि जब किसान प्रगति करता है, तभी राज्य और देश आगे बढ़ता है
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान अपने पैरों पर खड़े हो सकें. इनकी आमदनी में इजाफा हो. किसान बेहतर तरीके से जीवन यापन कर सकें. इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं चला रही है। उन्होंने किसानों पशुपालकों से कहा कि आप सरकार की योजनाओं से जुड़कर इसका लाभ ले और राज्य को भी मजबूती देने में योगदान करें. आप एक कदम आगे बढ़ेंगे तो सरकार आपको चार कदम आगे बढ़कर सहयोग करेगी.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हो रहे जलवायु परिवर्तन से हमारी चुनौतियां भी बढ़ रही है. इससे सबसे ज्यादा किसान प्रभावित हो रहे हैं. मौसम में आ रहे इस बदलाव से कहीं बाढ़ आ रहा है तो कहीं सुखाड़ की स्थिति पैदा हो रही है. इस वजह से फसल उत्पादन प्रभावित हो रही है. अगर हम अभी सचेत नहीं हुए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने की लिए तैयार रहना होगा. ऐसे में वैकल्पिक खेती और इससे जुड़े अन्य कार्यों की दिशा में आगे आगे आना होगा. इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं भी शुरू की है. आप इस योजनाओं से जुड़े और खुद को जलवायु परिवर्तन के बीच खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएं.