मिर्च किसानों के लिए वरदान बनी सितंबर की बारिश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में रोपाई में आई तेजी

मिर्च किसानों के लिए वरदान बनी सितंबर की बारिश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में रोपाई में आई तेजी

चिली एक्सपोर्ट एसोसिएशन गुंटूर के अध्यक्ष संबाशिवा राव वेलागपुड़ी ने कहा कि इन दोनों ही राज्यों में जिस तेजी के साथ मिर्ची की रोपाई की जा रही है, उससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार की मिर्च की रोपाई का क्षेत्र पिछले साल के बराबर होगा.

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मिर्च किसानों के लिए वरदान बनी सितंबर की बारिश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में रोपाई में आई तेजीआंध्र प्रदेश और तेंलगाना में मिर्च की खेती में आयी तेजी फाइल फोटो

आंध्र प्रदेश में तीखी मिर्च की खेती फिर से जोर पकड़ रही है. हालांकि राज्य में इसकी शुरुआत काफी देर से हुई है. मिर्च की खेती करने वाले किसानों ने कहा कि सितंबर में हुई बारिश के बाद अब तेलांगाना और आंध्र प्रदेश में मिर्च की खेती में गति आई है. मिर्च की खेती के लिए किसानों ने बिचड़ा पहले ही तैयार कर लिया था. इसके बाद सितंबर महीने में हुई बारिश के बाद किसान अब उन बिचड़ों को खेत में लगा रहे हैं. फिलहाल दोनों ही राज्यों में किसान जोर-शोर से मिर्च के पौधों की रोपाई करने में जुटे हुए हैं. 

चिली एक्सपोर्ट एसोसिएशन गुंटूर के अध्यक्ष संबाशिवा राव वेलागपुड़ी ने कहा कि इन दोनों ही राज्यों में जिस तेजी के साथ मिर्ची की रोपाई की जा रही है उससे यह उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार की मिर्च की रोपाई का क्षेत्र पिछले साल के बराबर होगा. हालांकि उन्होंने इस राज्य के जलाशयों में कम पानी होने को लेकर चिंता जरूर वयक्त की है. उन्होंने कहा कि कम पानी होने के कारण समस्या हो सकती है. वहीं सिंतबर महीने की बारिश और मिर्च रोपाई में तेजी आने के बाद प्रदेश के एग्रोकेमिकल विक्रेता काफी खुश हैं जो पहले इस बात से चिंतित थे कि मिर्च के शुरुआती सीजन में लंबे सूखे के दौर और पानी की कमी के कारण कवरेज एरिया में कमी आ सकती है. 

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एग्रोकेमिकल इंडस्ट्री में आई खुशी

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोदरेज एग्रोवेट क्रॉप प्रोटेक्शन बिजनेस के सीइओ एनके राजावेलु ने कहा कि मिर्च की खेती लगभग अब खत्म होने के कगार पर है. इससे इस बात की संभावनाए बढ़ गई हैं कि मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में एग्रोकेमिकल उत्पादों की बिक्री में तेजी आएगी. वहीं जीएसपी क्रॉप साइंस के एमडी भावेश शाह ने कहा कि सिंतबर महीने की बारिश से राज्य के मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में इसको बढ़ावा मिला है. इससे एग्रोकेमिकल उत्पाद की बिक्री में तेजी आने की उम्मीद है. कर्नाटक के हुब्बली क्षेत्र के हम्पाली ट्रेडर्स के बासवराज हम्पाली ने कहा कि कर्नाटक में इस बार मिर्च के कवरेज एरिया में काफी सुधार हुआ है. खास कर हुब्बली, वेल्लारी और बगालकोट में फसल की गुणवत्ता भी बहुत अच्छी है. यहां पर बारिश की स्थिति अच्छी है इसके कारण पौधों में किसी प्रकार के कीट या रोगों का प्रभाव नहीं हो रहा है. 

मिर्च का स्टॉक

चिली एक्सपोर्ट एसोसिएशन गुंटूर के अध्यक्ष ने कहा कि इस बार भी पिछले साल की तरह की कवरेज एरिया है और उत्पादन भी लगभग पिछले साल की तरह ही होने की उम्मीद है. इससे प्रुमख मिर्च उत्पादन क्षेत्रों में इसका स्टॉक पिछले साल की तरह ही होगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा नंवबर औक दिसंबर महीने की बारिश से यह तय होगा की मिर्च का आकार क्या होगा. संबाशिवा राव ने कहां की गुंटूर में मिर्च का अनुमानित स्टॉक 35 लाख बैग है, जिसमें हर बैग का वजन 40 किलो का है. जबकि ग्रामीण गुंटूर में अनुमानित स्टॉक सात लाख बैग का है. वहीं बाकी आंध्र प्रदेश में तीन लाख बैग का स्ट़ॉक है. 

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चीन मिर्च का सबसे बड़ा खरीदार

राव ने आगे कहा कि तेलंगाना में मिर्च का स्टॉक 25 लाख बैग है. उन्होंने कहा कि अभी भी व्यापारी को चीन से मिर्च की मांग का इंतजार है क्योंकि चीन मिर्च का सबसे बड़ा खरीदार है. चीन से मांग आने पर इसकी कीमतें भी अधिक हो जाती हैं जो फिलहाल स्थिर चल रही हैं. अलग-अलग किस्मों की अलग अलग कीमत है, जो 190 रुपये से लेकर 240 रुपये प्रति किलो तक है. 2021-22 के आंकड़ों के अनुसार भारत के पास कुल लाल मिर्च का उत्पादन 18.36 लाख टन था. वहीं इसकी खेती का क्षेत्र 8.82 लाख हेक्टेयर था. हरी मिर्च की खेती 4.27 लाख हेक्टेयर में की गई थी जिसका उत्पादन 47 लाख टन था. 

 

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