झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वतंत्रता दिवस समारोह को संबोधित करते हुए खुशहाल किसान खुशहाल झारखंड का नारा दिया था. पर राज्य में मौसम के कारण किसानों की जो दुदर्शा हो रही है उससे यह सवाल उठने लगा है कि आखिर किस प्रकार किसान राज्य में खुशहाल होंगे और झारखंड कैसे खुशहाल होगा. राज्य में लगातार यह दूसरी बार है कि पूरे प्रदेश में जबरदस्त सूखा पड़ा है. सूखे के कारण किसानों की कमर टूटरी जा रही है. इस बार तो अब तक बारिश को लेकर जो हालात नजर आ रहे हैं उसके अनुसार अगर सितंबर महीने में भी अगर पर्याप्त बारिश नहीं होती है तो फिर रबी फसलों की खेती पर भी आफत आ जाएगी. क्योंकि कुएं तालाब और नदी में अभी तक पानी नहीं भरा है.
गुड़गुड़जाड़ी के किसान गंदूरा उंराव बताते हैं कि आज भी उनके गांव के कुएं तालाब में जून महीने के इतना पानी है. कई तालाब तो ऐसे हैं जिसकी सतह पर घांस उगी हुई है. अब ऐसे में किसानों को यह चिंता अभी से सताने लगी है कि अब आने वाले दिनों में वो खेती कैसे करेंगे. ऐसे में यह सवाल उठता है कि किसान खुशहाल कैसे होंगे. पिछले बार पड़े सूखे से राहत दिलाने के लिए राज्य सरकार ने किसानों को 3500 रुपए प्रति किसान देने की घोषणा की थी.
योजना का लाभ लेने के लिए 33 लाख किसानो ने आवेदन दिया था, पर अभी तक मात्र 10 लाख किसानों को ही मुख्यमंत्री सुखाड़ योजना के तहत 3500 रुपये मिल पाए हैं. अभी भी 23 लाख किसानों को इस राहत राशि का इंतजार है. ग्राम चुंद के किसान रामहरी उंराव भी उन किसानों में से एक हैं जो आज भी पैसे मिलने का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस बार भी स्थिति खराब है. घर में भी धान नहीं बचा है. ऐसे में चिंता सताने लगी है कि पूरे साल परिवार का पेट कैसे भरेंगे. इन हालात में किसान खुशहाल कैसे होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य के किसानों के हितो का ध्यान रखते हुए उनके लिए 88 योजनाएं चलाई जा रही है. पर सवाल यह उठने लगे हैं कि इतनी सारी योजनाओं का संचालन किए जाने के बाद भी राज्य के किसानों की स्थिति में सुधार क्य़ों नहीं आ रहा है. झारखंड के किसानों की आय आज भी देश के दूसरे राज्यों के किसानों की तुलना में काफी कम है. कृषि आधारभूत संरचनाओं के उपर किया जाने वाला खर्च भी काफी कम है. ऐसे में किसान खुशहाल कैसे होगा.