झारखंड में लागू हुआ कृषि बाजार शुल्क, किसानों के ल‍िए फसल बेचना हुआ महंगा !

झारखंड में लागू हुआ कृषि बाजार शुल्क, किसानों के ल‍िए फसल बेचना हुआ महंगा !

झारखंड में कृषि बाजार शुल्क विधेयक लागू कर दिया गया है. विधि विभाग ने इससे संबंधित गजट प्रकाशित कर दिया था, इस विधेयक के लागू होने के बाद किसानों पर भी इसका असर होगा.

झारखंड में आज से लागू हुआ बाजार समिति शुल्क           फोटोः किसान तकझारखंड में आज से लागू हुआ बाजार समिति शुल्क फोटोः किसान तक
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Feb 21, 2023,
  • Updated Feb 21, 2023, 2:11 PM IST

झारखंड में चैंबर ऑफ कॉमर्स के विरोध और फिर हड़ताल स्थगित होने के बाद कृषि बाजार शुल्क विधेयक लागू हो गया. विधि विभाग द्वारा झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन( संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक का गजट प्रकाशित कर दिया गया है. इसके साथ ही अब बाजार समिति के माध्यम से होने वाले कारोबार पर शुल्क लगेगा. इस तरह से अब किसानों पर और अधिक बोझ बढ़ेगा क्योंकि नए शुल्क का बोझ भी किसानों के ऊपर ही आएगा. नए विधेयक के मुताबिक नष्ट होने वाले उत्पाद पर एक फीसदी और नष्ट नहीं होने वाले उत्पादों पर दो फीसदी का टैक्स बाजार समिति को देना होगा. 

भले ही यह टैक्स सीधे तौर पर किसान नहीं देंगे पर उसका असर कैसे उन पर पड़ेगा यह समझना जरूरी है. विधेयक में प्रावधान है कि खराब होने वाली वस्तुओं जैसे हरी सब्जियां और नहीं खराब होने वाली वस्तुएं जैसे गेंहू और दलहनी फसलों समेत आलू प्याज पर दो फीसदी का टैक्स देना होगा. इस टैक्स का बोझ भी किसानों के सिर ही पड़ेगा क्योंकि जो भी बिचौलिए या व्यापारी इनसे फसल छोटे हाट बाजारों से खरीदेंगे और बाजार समितियों में बेचेंगे तो इन पर लगने वाले टैक्स की कीमत वो किसानों को कम कीमत देकर वसूलेंगे. इससे घाटे में किसान ही रहेंगे. हालांकि बाजार समिति के अंदर फल और सब्जी की खरीद बिक्री पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगेगा. 

आम जनता और किसान पर बढ़ेगा बोझ

झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के सदस्य आदित्य मल्होत्रा ने कहा क‍ि‍ इस कानून  की व्यावहारिकता झारखंड के परिप्रेक्ष्य में नहीं है. क्योंकि प्रदेश में दलहन औऱ तिलहन अन्य राज्यों से आता है, जिनपर पूरी तरह से टैक्स दिया जा चुका होता है. इसके बाद जब मंडियों के जरिए फिर से इन खाद्यान्न की  बिक्री की जाएगी तो इन पर दोहरा टैक्स लगेगा. इसके कारण किसानों को तो नुकसान होगा ही आम जनता के लिए भी चीजें और महंगी हो जाएंगी. साथ ही कहा कि इसका जो प्रारुप है उससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. 

क्या कह रहे हैं किसान नेता

वहीं किसान नेता पंकज राय बताते हैं कि यह एक ऐसा कानून बनाया गया है, जो संपूर्ण रुप से धन उगाही का एक उपक्रम है. इस सिर्फ और सिर्फ किसानों के नाम का दुरुपयोग किया जा रहा है.उन्होंने आगे कहा की जो नया कृषि बाजार शुल्क लागू किया गया है, उससे सीधे तौर पर किसान प्रभावित होंगे. क्योंकि जो टैक्स बाजार समिति द्वारा लिया जाएगा उसका बोझ किसान पर ही पड़ेगा. पंकज राय ने कहा कि पिछले 22 सालों में कृषि और किसानों के विकास कार्यों के लिए एक बड़ी राशी खर्च की गई है. लेक‍िन इसका लाभ नहीं मिला है. 

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