धान के खेतों में हो सकता है कीट का प्रकोप, नियमित तौर पर निगरानी करें किसान

धान के खेतों में हो सकता है कीट का प्रकोप, नियमित तौर पर निगरानी करें किसान

सूखे मौसम को देखते हुए फूलगोभी, बैगन, टमाटर, मिर्च भिंडी, अरहर और मटर के खेतों में निराई गुड़ी कर लें. धान की फसल को लेकर सलाह जारी करते हुए कहा कि जिन किसानों ने देर से धान की रोपाई की है उन खेतों में अभी धान भराई की अवस्था में है.

धान की खेती                                                                                    फाइल फोटोधान की खेती फाइल फोटो
पवन कुमार
  • Ranchi,
  • Nov 14, 2023,
  • Updated Nov 14, 2023, 7:00 PM IST

झारखंड के किसानों को खेती-बारी से जुड़े कार्यों के लिए मौसम विज्ञान विभाग की तरफ से समय-समय पर कृषि सलाह दी जाती है ताकि किसान इन सलाहों का इस्तेमाल कर बेहतर कृषि कर सके और नुकसान से बट सकें. किसानों को यह सलाह मौसम के अनुसार दी जाती है, जिससे वो सही समय पर फसलों की बुवाई और कटाई कर पाते हैं. इस सप्ताह भी किसानों के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि फिलहाल जो सूखे की स्थिति है उसे देखते हुए किसान जल्द से जल्द अपने परिपक्व फसलों की कटाई कर और थ्रेसिंग कर ले. इसके साथ ही कहा गया है कि इस वक्त फूलगोभी, बैगन, मिर्च और टमाटर जैसी सब्जियों की की फसल में कीट का प्रकोप होता है ऐसे में इसपर नियंत्रण करने के लिए नियमित तौर पर निगनारी रखने की सलाह दी जाती है. 

इसके अलावा यह भी कहा गया है कि सूखे मौसम को देखते हुए फूलगोभी, बैगन, टमाटर, मिर्च भिंडी, अरहर और मटर के खेतों में निराई गुड़ी कर लें. धान की फसल को लेकर सलाह जारी करते हुए कहा कि जिन किसानों ने देर से धान की रोपाई की है उन खेतों में अभी धान भराई की अवस्था में है. यह बहुत संवेदनशील अवस्था होती है और इसका प्रभाव उपज पर पड़ता है. मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दिनों में आंशिक रुप से बादल छाए रहेंगे. इसके कारण फसलों में कंडुआ रोग का प्रकोप देखा जा सकता है. इस बीमारी के प्रकोप से फसल को बचाव के लिए जितनी प्रॉपीकोनाजोल 25 ईसी एक एक एमएल प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. 

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बीजोपचार जरूर करें किसान

चना मटर और मूंग की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि इन बीजों की बुवाई करने से पहले फफूंदनाशी पाउडर के साथ बीजोपचार जरूर करे. फफूंदनाशकों से बीजोपचार करने के बाद बीजों में छाया में छह से आठ घंटे तक तक सूखाने के बाद जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा पांच ग्राम और स्युडोमोनास 10 ग्राम से उपचारित करें. साथ ही जो किसान मटर की खेती करना चाहते हैं वो मिट्टी की नमी का लाभ उठाते हुए खेत की तैयारी करें. साथ ही इसकी किस्म आरकेल, आजाद मटर, पूसा प्रगति जैसी किस्मों की बुवाई कतारबद्ध तरीके से करें. एक एकड़ में 15 किलो बीज की बुवाई करें.

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फूलगोभी की खेती पर दे विशेष ध्यान

जो किसान फूलगोभी की खेती करना चाहते हैं वो किसान खेत तैयार करने के अंतिम चरण में आठ से 10 टन गोबर खाद खेत में डाल दें. इसके अलावा खेत में 25 से 30 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से एनपीके को खेत में डालें. कम अवधि की फूलगोभी कि किस्मों को 60 सेमीX30 सेमी की दूरी पर प्रत्यारोपित करें और मध्यम औऱ देर की अवधि वाले फूलगोभी को 60-65 सेमी X 40-45 सेमी की दूरी पर प्रत्यारोपित करें. इसके अलावा प्याज की खेती के लिए किसान दोमट मिट्टी का चुनाव करें और 10-12 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से बीज की बुवाई करें.


 

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