कड़कनाथ मुर्गी पालन किसानों के लिए एक अच्छा ऑप्शन है. इस मुर्गी की विशेषताओं और अच्छा बाजार मूल्य के कारण किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इस बीच आगरा के कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी में कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गी का पालन हो रहा है. यहां बड़े पैमाने में किसान इस खास प्रजाति की मुर्गी के बारे में वैज्ञानिकों से जानकारी ले रहे है. इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में केंद्र अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि 2 दिसंबर 2024 से कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी में कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गी का पालन शुरू हो चुका है. अब किसानों को उनके जिले में ही कड़कनाथ प्रजाति की मुर्गी के चूजे आसानी से उपलब्ध होंगे.
उन्होंने बताया कि कड़कनाथ मुर्गी पालन शुरू करने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है जैसे मुर्गियों के लिए उचित आवास, भोजन और देखभाल. इसके अलावा मुर्गियों का टीकाकरण और बीमारी से बचाव भी बहुत जरूरी है. अच्छी देखभाल और प्रबंधन से किसान कड़कनाथ मुर्गी पालन से लखपति बन सकते हैं.
पशुपालन विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि कड़कनाथ की तीन प्रजातियां ( जेट ब्लैक, पेंसिल्ड और गोल्डन) होती हैं. अभी केंद्र पर जेट ब्लैक प्रजाति की कड़कनाथ मुर्गी का पालन किया जा रहा है. इस समय जेट ब्लैक प्रजाति के 30 लेयर और 120 चूजे हैं. इससे पहले गोल्डन प्रजाति के कड़कनाथ भी केंद्र पर पाले गए हैं. दोनों प्रजाति की विशेषता लगभग समान ही होती है.
उन्होंने बताया कि इसका औसत वजन 1.80 से 2.0 किलोग्राम तक होता है. मादा कड़कनाथ प्रतिवर्ष 60 से 80 तक अंडे देती है. एक अंडे की कीमत 20-30 रुपये है. इस प्रजाति की मुर्गी-मुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है. किचन के अवशेष, हरा चारा व सामान्य दाना पानी देकर भी इसे पाला जा सकता है.
डॉ. चौहान ने बताया कि कड़कनाथ मुर्गी के अंडे मध्यम आकार के हल्के भूरे गुलाबी रंग के होते हैं. यह प्रजाति अपने काले मांस जो उच्च गुणवत्ता, स्वादिष्ट एवं औषधीय गुणवत्ता के कारण जानी जाती है. कड़कनाथ मुर्गी का मांस, चोंच, जुबान, टांगे, नाखून, चमड़ी, कलंगी आदि काली होती है. यह मिलैनिन पिगमेंट की अधिकता के कारण होता है. जो हृदय व मधुमेह रोगियों के लिए उत्तम आहार है.
उन्होंने बताया कि कड़कनाथ मुर्गे का मांस और अंडे बाजार में महंगे बिकते हैं, जिससे आप कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. कड़कनाथ मुर्गे की खासियत यह है कि यह अन्य मुर्गों की तुलना में कम बीमार पड़ते हैं, जिससे आपको मुर्गी पालन में कम लागत आती है. इसके अलावा, कड़कनाथ मुर्गे का मांस बहुत स्वादिष्ट होता है और इसमें कई पोषक तत्व होते हैं, जिससे इसकी मांग बाजार में बहुत ज्यादा है.
कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र सिंह चौहान ने आगे बताया कि केंद्र पर 100 अंडो के लिए एक हैचरी मशीन भी उपलब्ध है. कुछ समय बाद इनके अंडों से हेचरी द्वारा चूजों को निकाला जाएगा. एक चूजे की कीमत लगभग 100 रुपये है. आने वाले फरवरी माह में चयनित गांवों में केंद्र की हैचरी यूनिट से घर के पिछबाडे मुर्गीपालन योजना के तहत जनपद के मुर्गी पालकों को पोल्ट्री चिक्स उपलब्ध कराएं जाएंगे. फरवरी माह में मुर्गी पालक कृषि विज्ञान केंद्र बिचपुरी पर आकर चूजे ले सकते हैं.