
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में आज मछली पालन खेती के साथ-साथ एक उभरता हुआ व्यापार बन गया हैं. दिसंबर महीना की शुरुआत होने में महज कुछ दिन ही बचा हुआ है. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, दिसंबर महीने में इस बार कड़ाके की ठंड पड़ेगी. ऐसे में मछली पालन करने वालों के लिए यह खबर बड़ी काम की है, क्योंकि ठंड का असर मछलियों के हेल्थ पर पड़ता है. वहीं सही तरह से देखरेख नहीं की गई, तो मछिलयों की मौत तक हो जाती है. जिससे मछली पालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. वाराणसी- भदोही रोड पर स्थित कपसेठी गांव के रहने वाले किसान केएन सिंह पिछले 40 वर्षों से मछली पालन के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. आईये जानते है कि सर्दी के मौसम में मत्स्य पालकों को किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए.
एक्सपर्ट केएन सिंह के मुताबिक, मत्स्य पालन में तापमान का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है. क्योंकि अधिक ठंड पड़ने के दौरान मछलियों में कई तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं. उन्होंने बताया कि जब सर्दी अधिक पड़ती हैं कि मछलियों का विकास कम होगा और उत्पादन पर असर पड़ता हैं. क्योंकि मछलियां पानी के नीचे बैठने लगती है. सिंह बताते हैं कि मछलियां खाना बिल्कुल कम खाती है, तो कभी खाना पूरी तरह से छोड़ देती हैं. इस दौरान फंगस और बैक्टीरिया का प्रभाव भी बढ़ने लगता है. ऐसी सूरत में हम लोगों को सावधानियां बरतने की जरूरत है.
वाराणसी जिले के प्रगतिशील मत्स्य पालक केएन सिंह ने बताया कि सर्दीयों में सबसे पहले टेंपरेचर को स्थिर करने की जरूरत है. इसके लिए तलाब से पानी बदलना पड़ेगा. अगर आप बोरवेल से पानी छोड़ते है, तो उसको बदलने की व्यवस्था करनी पड़ेगी. उन्होंने आगे बताया कि ज्यादा सर्दी होने पर मछलियां एक झुंड में बैठी रहती है, ऐसे में सक्रंमण का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे सूरत में एंटीफंगल दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए. सिंह का कहना हैं कि नमक का प्रयोग काफी कारगर होता है, इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.
वहीं मछली पालकों को लालच नहीं करना चाहिए. अगर पंगेसियस मछली का पालन कर रहे है, तो उनको तालाब से निकाल देना चाहिए. क्योंकि सबसे ज्यादा संक्रमण पंगेसियस मछली में फैलता है. खासकर पानी की निकासी बेहतर हो तो मछलियां सुरक्षित रहेंगी. जहां पानी की निकासी नहीं है, वहां मत्स्य पालकों को रिस्क लेने की जरूरत नहीं है. इसलिए पानी की रोजाना सफाई करें और मछलियों को समय-समय पर देखें. किसी बीमारी का लक्षण दिखे तो तुरंत उपचार करें. अगर आप तालाब में मछली पालन कर रहे हैं तो ठंड से बचाने के लिए तालाब के आसपास बांस, पॉलिथिन या प्लास्टिक की शेडिंग लगाएं. इससे पानी का तापमान स्थिर रहेगा और ठंड का असर कम पड़ेगा.
केएन सिंह ने बताया कि पानी का तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहना चाहिए, ताकि मछलियां आराम से बढ़ सकें. इसके साथ ही ठंड के मौसम में पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो जाती है, इसलिए जरूरी है कि ऑक्सीजन लेवल को बनाए रखने के लिए एरेटर या ऑक्सीजन की सप्लाई उपकरणों का इस्तेमाल रोजाना करना चाहिए. इससे मछलियां स्वस्थ रहेंगी और उनकी ग्रोथ भी अच्छा होगा. प्रदेश के कई मछली पालक तालाब में रेहू, ग्लास कार्फ़, सिल्वर, पंगेसियस, मिर्गन और कातला जैसी प्रजातियों का पालन कर रहे हैं. सर्दी के मौसम के दौरान बाजारों में इन मछलियों की डिमांड अधिक रहती है.
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