वर्तमान समय में पशुपालन किसानों की पहली पसंद बनता जा रहा है. कमाई के लिहाज से भी पशुपालन किसानों और पशुपालकों के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. ऐसे में पशुपालकों के लिए ये जानना जरूरी है कि आप अपने पशुओं के रखरखाव और बेहतर खानपान की जानकारी रखें. वहीं गांव में पशुपालन करने में किसान कई बार ऐसी गलती कर देते हैं जिससे उनके पशुओं की जान चली जाती है. दरअसल गांव के किसान पशुओं को चारागाह या हरी घास वाले खेतों में छोड़ देते हैं. ऐसे में बरसात के दिनों में कई बार पशु विषाक्त घास भी खा लेते हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है.
ऐसा ज्यादातर तब होता है जब किसान अपनी फसलों में अधिक मात्रा में यूरिया का प्रयोग करते हैं और पशु यूरिया पॉइजनिंग के शिकार हो जाते हैं. इसलिए पशुपालकों को इस बारे में जानकारी होनी चाहिए ताकि ऐसी कोई दुर्घटना होने पर पशुओं को बचाया जा सके.
पशुओं को खुला रखने पर कभी-कभार पशु यूरिया मिला हुआ चारा खा लेते हैं. वहीं कई बार यूरिया खाद को पशु आहार के साथ रखने से यूरिया रिवास होकर आहार में मिल जाता है, जिससे पशुओं के आहार में यूरिया पॉइजनिंग हो जाती है, जो पशुओं के लिए हानिकारक और जानलेवा हो जाता है. ऐसे में पशुओं यूरिया से विषाक्त वाला चारा न खिलाएं.
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पशुओं में यूरिया पॉइजनिंग के लक्षण की बात करें तो अगर आपका पशु बेचैन हो, सुस्त हो, मांसपेशियों में ऐंठन हो, मुंह से अधिक मात्रा में लार आए, बार-बार पेशाब करे या गोबर करे, अफरा और सांस लेने में दिक्कत दिखाई दे तो समझ जाएं कि पशु ने यूरिया पॉइजनिंग वाली किसी चीज को खा लिया है. वहीं अगर पशु ने अधिक मात्रा में खा लिया हो तो उसकी मौत हो जाती है.
पशुपालकों को अपने पशुओं को बचाने के लिए यूरिया घोल और उससे मिले चारे से दूर रखना चाहिए. वहीं ध्यान दें कि चारा उपचारित करते समय यूरिया का घोल उचित अनुपात में ठीक तरह से मिलाएं. इन बातों का ध्यान देकर आप अपने पशुओं को मरने और बीमार होने से बचा सकते हैं.