नवजात बछिया तंदुरुस्त चाहिए तो जरूर करें ये 5 काम, छोटी गलती भी ले सकती है जान

नवजात बछिया तंदुरुस्त चाहिए तो जरूर करें ये 5 काम, छोटी गलती भी ले सकती है जान

कई बार पशुपालकों की मामूली सी लापरवाही से नवजात बछड़े-बछिया की जान चली जाती है. खासकर ब्याने के बाद का शुरुआती समय बेहद नवजात पशुओं के लिए संवेदनशील होता है. यही वो वक्त होता है जब सही देखभाल और पोषण से उन्हें न सिर्फ बीमारियों से बचाया जा सकता है.

नवजात बछियानवजात बछिया
संदीप कुमार
  • Noida,
  • Sep 29, 2025,
  • Updated Sep 29, 2025, 5:42 PM IST

ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन का महत्व बढ़ता जा रहा है. पशुपालन से मुनाफा तभी मिलता है जब गाय-भैंस के बछड़े-बछिया जन्म के बाद जिंदा स्वस्थ और मजबूत रहें. लेकिन कई बार पशुपालकों की मामूली सी लापरवाही से नवजात बछड़े-बछिया की जान चली जाती है. खासकर ब्याने के बाद का शुरुआती समय बेहद नवजात पशुओं के लिए संवेदनशील होता है. यही वो वक्त होता है जब सही देखभाल और पोषण से उन्हें न सिर्फ बीमारियों से बचाया जा सकता है, बल्कि वह आगे चलकर एक तंदुरुस्त और ताकतवर दुधारू पशु भी बनता है. इसलिए हर पशुपालक को चाहिए कि इस नाजुक समय में इन 5 बातों का ध्यान रखें.

1- ब्याने के बाद नाक-मुंह की करें सफाई

गाय या भैंस के ब्याने के तुरंत बाद बछड़े-बछिया के नाक और मुंह में जमी झिल्ली और गंदगी को साफ करना चाहिए. ऐसा करने से नवजात बच्चे आसानी से सांस ले सकते हैं. साथ ही शरीर में ऑक्सीजन ठीक से पहुंचेगी. अगर यह सफाई न की जाए तो बछड़े को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है, जिससे उसकी जान को खतरा हो सकता है.

2- बछड़े-बछिया को आयोडीन देना जरूरी

पशुपालन एक्सपर्ट की मानें तो ब्याने के बाद बछड़े-बछिया की नाभि को ऊपर से करीब आधा इंच छोड़कर साफ कैंची से सावधानी से काटें. इसके तुरंत बाद नाभि पर टिंचर आयोडीन लगाएं, जिससे संक्रमण न फैले. अगर नाभि की सही देखभाल न की जाए तो वहां से बैक्टीरिया शरीर में घुस सकते हैं, जिससे बछड़े-बछिया बीमार हो सकते हैं और उनकी जान को खतरा हो सकता है.

3- दो घंटे के अंदर पिलाएं मां का दूध

बछड़े-बछिया को जन्म के दो घंटे के भीतर उसकी मां का पहला दूध यानी खीस जो ब्याई हुई गाय-भैंस का पहला गाढ़ा, पीला दूध होता है उसे जरूर पिलाना चाहिए. खीस में सामान्य दूध की तुलना में ज्यादा पोषक तत्व और रोगों से लड़ने वाले गुण होते हैं. यह नवजात बच्चों को शुरुआती संक्रमण से बचाता है और पेट की सफाई भी करता है. खीस पिलाने से बछड़े-बछिया मजबूत बनते हैं.

4- मलद्वार न हो तो डॉक्टर को दिखाएं

कई बार कुछ बछड़े-बछिया में जन्म से ही मलद्वार नहीं होता है. ऐसे बछड़े मल नहीं कर पाते और कुछ ही दिनों में उनकी जान जा सकती है. लेकिन चिंता की बात नहीं है, इसका इलाज संभव है. पशु डॉक्टर एक छोटी सर्जरी करके नया मल द्वार बना सकते हैं. ध्यान दें कि यह सर्जरी नजदीकी पशु चिकित्सालय में ही करवाएं.

5- बछिया के अतिरिक्त थन को हटाएं

कई बार बछिया के थन चार से ज्यादा होते हैं, जिन्हें अतिरिक्त थन कहा जाता है. ये थन दूध नहीं देते लेकिन बाद में गाय-भैंस बनने पर दूध निकालते समय परेशानी पैदा करते हैं. इसलिए जन्म के कुछ दिन बाद ही इन्हें कैंची से काटकर हटा देना चाहिए. यह एक सामान्य प्रक्रिया है, जिससे बछिया को कोई तकलीफ नहीं होती और न ही खून निकलता है. हालांकि ये काम खुद न करें, बल्कि पशु डॉक्टर से करवाएं.

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