Animal Disease Care भैंस के बीमार होते ही दोहरा जोखिम बना रहता है. एक तो बीमार होते ही उत्पादन घट जाता है और दूसरा जान का खतरा डराने लगता है. क्योंकि कई ऐसी बीमारियां हैं जिसमे जरा सी भी लापरवाही हो जाए तो भैंस की मौत होना तय है. अगर दूध देने वाली भैंस की बात करें तो आज अच्छी नस्ल की भैंस 80 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक की आती है. ऐसे में अगर भैंस की देखभाल में लापरवाही हो जाती है तो भैंस के मरने पर 80 हजार से एक लाख रुपये तक का नुकसान होता है.
भैंस ही नहीं सभी दुधारू पशुओं को खासतौर पर सर्दी के मौसम में बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. और उस पर पशुपालकों के लिए परेशानी वाली बात ये कि दिसम्बर-जनवरी में ही पशु हीट में ज्यादा आता है. वहीं गर्मी में गाभिन कराए गए पशु इस दौरान बच्चा देने वाले होते हैं. सर्दी-गर्मी के मौसम में पशुपालकों द्वारा कुछ ऐहतियाती कदम उठाकर परेशानी और आर्थिक नुकसान से बचा जा सकता है.
पशुपालक सर्दियों में न करें ये चार काम
- सर्दियों के मौसम में पशुओं को खुला ना छोड़ें.
- सर्दी के मौसम में पशु मेलों का आयोजन नहीं करना चाहिए.
- ठंडा चारा और पानी पशुओं को नहीं देना चाहिए.
- पशुओं को नमी और धुंए वाली जगह पर नहीं रखना चाहिए.
- नमी और धुंए वाली जगह पर निमोनिया का खतरा बढ़ जाता है.
- बीमार होने पर पशु को सिर्फ डॉक्टर को ही दिखाएं.
पशुओं को बीमारी से बचाने को करें उपाय
- दिन और रात के मौसम का अपडेट लेते रहें.
- पशुओं को शीत लहर से बचाने के सभी इंतजाम कर लें.
- खासतौर पर रात के वक्त बाड़े को तिरपाल आदि से अच्छी तरह ढककर रखें.
- पशुओं के नीचे फर्श पर पुआल आदि बिछा दें.
- बाड़े में रोशनी रखें और जगह को गर्म रखने का इंतजाम कर लें.
- पशुओं को सूखी जगह पर ही बांधे.
- पशुओं को पेट के कीड़े मारने वाली दवा खिलाने के साथ ही जरूरी टीके लगवा दें.
- मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए बाड़े में लैमनग्रास और नारगुण्डी को टांग दें.
- मक्खी-मच्छर से बचाने के लिए नीम तेल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
- पशुओं को मोटे कपड़े और बोरी आदि से ढककर रखें.
- पशुओं को गर्म रखने के लिए खली और गुड़ खिलाएं.
- पशुओं को दिन में तीन से चार बार हल्का गर्म पानी पिलाएं.
- किसी भी तरह की बीमारी के लक्षण देखते ही पशु को डॉक्टार को दिखाएं.
- बीमार, कमजोर और गाभिन पशु का खास ख्याल रखें.
- मृत पशु के शव का निस्तारण आबादी और तालाब आदि से दूर करें.
- आग लगने में सहायक वस्तुओं को पशु के बाड़े से दूर रखें.
- पशु के नए बाड़े का निर्माण मौसम के हिसाब से ही कराएं.
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