Goat Farming: बकरियों को बीमारियों से कैसे बचाएं? जानिए आसान और कारगर उपाय

Goat Farming: बकरियों को बीमारियों से कैसे बचाएं? जानिए आसान और कारगर उपाय

बकरियों को स्वस्थ रखने के लिए जानिए 5 प्रमुख रोगों के लक्षण, कारण और बचाव के आसान तरीके. बकरी पालन में नुकसान से बचने के लिए पढ़ें यह जरूरी जानकारी.

बकरियों में होने वाली बीमारी और देखभालबकरियों में होने वाली बीमारी और देखभाल
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 27, 2025,
  • Updated Sep 27, 2025, 5:37 PM IST

बकरियां खेती और दुग्ध उत्पादन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. उनकी सही देखभाल और स्वास्थ्य का ख्याल रखना किसानों के लिए जरूरी है ताकि वे अधिक उत्पादन दे सकें और आर्थिक रूप से मजबूत बन सकें. बकरियों को कई प्रकार के रोग हो सकते हैं, जो उनकी सेहत और उत्पादन दोनों को प्रभावित करते हैं. इसलिए जरूरी है कि बीमारियों के होने से पहले ही उचित बचाव के उपाय अपनाए जाएं. इस लेख में हम बकरियों के प्रमुख रोगों, उनके लक्षणों, कारणों और प्रभावी बचाव और उपचार के तरीकों के बारे में आसान भाषा में जानकारी देंगे.

1. बकरी चेचक

बकरी चेचक रोग हवा, संक्रमित वस्तुओं या छूने से फैलता है. संक्रमण का समय लगभग 27 दिन होता है. बीमार बकरी को तेज बुखार आता है, आंख और नाक से पानी आता है, सांस लेने में दिक्कत होती है और त्वचा पर लाल फफोले बनते हैं जो बाद में पपड़ी में बदल जाते हैं. इस रोग में मृत्यु दर 15-20% तक होती है. बचाव के लिए प्रतिरोधक टीकाकरण जरूरी है और बीमार बकरियों को स्वस्थ बकरियों से अलग रखना चाहिए.

2. कंटेजियस एक्थाइमा (मुहा)

यह रोग मुख्यतः गर्मी और बसंत के मौसम में फैलता है. खासकर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करता है. इसमें मुंह और होठों पर लाल फफोले बनते हैं जो 3-4 सप्ताह में ठीक हो जाते हैं. टीका उपलब्ध नहीं है, इसलिए साफ-सफाई का ध्यान रखना और घावों का इलाज करना आवश्यक है.

3. भूखमरी (एफएमडी)

यह एक महामारी रोग है जो छूने से फैलता है. लक्षणों में तेज बुखार, मुंह से लार बहना, मुंह के अंदर फफोले और खुरों के बीच घाव शामिल हैं, जिससे बकरी लंगड़ी हो जाती है. बचाव के लिए बीमार बकरियों को अलग रखना, घावों पर बोरो ग्लिसरीन लगाना और पैरों के घावों की सफाई जरूरी है. साथ ही एंटीबायोटिक दवाएं, विटामिन ‘ए’ और जिंक लवण भी मददगार होते हैं.

4. बकरी प्लेग (पीपीआर)

यह रोग बहुत तेजी से फैलता है और मृत्यु दर लगभग 100% होती है. लक्षणों में तेज बुखार, मुंह और जीभ पर छाले, दस्त, खांसी, सांस लेने में तकलीफ और गर्भपात शामिल हैं. बचाव के लिए वार्षिक टीकाकरण आवश्यक है और बाहर से लाए गए पशुओं को एक सप्ताह अलग रखना चाहिए.

5. निमोनिया (सीसीपीपी)

यह फेफड़ों को प्रभावित करने वाला खतरनाक रोग है, जो सांस के जरिए फैलता है. लगभग सभी बकरियां प्रभावित होती हैं और मृत्यु दर 60-100% तक हो सकती है. इसके लक्षणों में खांसी, सांस लेने में दिक्कत, बुखार, झागदार लार और चलने में कमजोरी शामिल हैं. बचाव के लिए सूखा, साफ आवास, संतुलित आहार, कृमिनाशक दवाओं का समय-समय पर इस्तेमाल और चराई का नियंत्रण आवश्यक है.

बकरियों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना उनके उत्पादन और आपके लाभ के लिए आवश्यक है. सही समय पर टीकाकरण, साफ-सफाई और रोगों के शुरुआती लक्षणों को पहचान कर इलाज करना रोगों से बचाव का सबसे अच्छा तरीका है. स्वस्थ बकरियां आपके व्यवसाय को मजबूत और टिकाऊ बनाती हैं, इसलिए उनकी देखभाल में कोई कमी न रखें.

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