मछली कारोबार और उससे बने प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. इसी कड़ी में मछली-पशुपालान और डेयरी मंत्रालय की ओर से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में खासतौर पर फ्रोजन मछली के बारे में बात की गई. फ्रोजन मछली की कम डिमांड पर चिंता व्य्क्तम की गई. कार्यक्रम में फिश सप्लाई के तीन बड़े कारोबारी फाल्कन मरीन, फ्रेश टू होम और अमलगम ग्रुप के जीएम और सीईओ भी शामिल हुए.
मछली पकड़ने के काम पर अपना जीवन गुजारने वाले समुदाय के लिए यह जरूरी है कि घरेलू बाजार में मछली की डिमांड पैदा हो. ताजा मछली के साथ ही फ्रोजन मछली और उससे बने प्रोडक्ट की डिमांड आए. केन्द्र सरकार की प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) का फायदा लेने वालों की इनकम भी दोगुनी हो.
केन्द्री य मछली विभाग के सचिव जतीन्द्र नाथ स्वैन ने कहा कि मछली एक्सपोर्ट में क्वालिटी से जुड़े कड़े नियमों का पालन किया जाता है. अगर खासतौर पर फ्रोजन मछली की तरफ लोगों का विश्वास जीतना है तो एक्सपोर्ट क्वालिटी वाले नियम घरेलू मछली सप्लाई में भी लाने होंगे. साथ ही देश में मौजूदा सप्लाई चेन का भी इस्तेपमाल करना होगा. तभी लोग फ्रोजन मछली और मछली से बने प्रोडक्ट की तरफ आएंगे.
कार्यक्रम में शामिल हुए फाल्कन मरीन एक्सपोर्ट के जनरल मैनेज जीएस रथ, अमलगम ग्रुप के अध्यक्ष एजे थारकन और फ्रेश टू होम के सीईओ मैथ्यू जोसेफ ने इस पर पर जोर दिया कि देश में फिश प्रोसेसिंग यूनिट, रेडी टू ईट और रेडी टू कुक मछली की जरूरत है. तभी यह कारोबार रफ्तार पकड़ेगा. वर्ना आज भी एक आम आदमी फ्रोजन फिश के बजाए ताजा मछली ही खाना पसंद करता है, फिर चाहें उसके लिए उसे चार से छह दिन तक इंतजार ही क्यों न करना पड़े. एक्सपोर्ट की निर्भरता को कम करने के लिए यह जरूरी भी है. क्योंकि इंटरनेशन मार्केट में आज अनिश्चितता बहुत है.
साल 2010-11 में प्रोडक्शन- 84 लाख मीट्रिक टन
साल 2021-22 में प्रोडक्शन- 1.61 करोड़ टन
मरीन फिश प्रोडक्शन- 37.27 लाख मीट्रिक टन
इनलैंड फिश प्रोडक्शन- 1.4 करोड़ मीट्रिक टन.