Dairy Milk Production दुनियाभर में भारत दूध उत्पादन में नंबर वन है. बावजूद इसके दूध उत्पादन को और ज्यादा बढ़ाने में परेशानियां आ रही हैं. बेशक सुनने में ये बात अटपटी लगे, लेकिन ये सच है कि कुछ ऐसी वजह हैं जिसके चलते देश में दूध उत्पादन और नहीं बढ़ पा रहा है. बीते साल देश में 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ है. हर साल दूध उत्पादन में करीब छह फीसद की दर से बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि साल 2033 तक देश को हर साल 33 करोड़ टन दूध उत्पादन की जरूरत है.
तभी आने वाले वक्त में दूध और दूध से बने प्रोडक्ट की डिमांड को पूरा किया जा सकेगा. यही वजह है कि दूध में दूध उत्पादन बढ़ाने की चर्चा हो रही है. जिससे घरेलू डिमांड को पूरा करने के साथ ही डेयरी प्रोडक्ट एक्सपोर्ट करने के बारे में भी प्लानिंग की जा सके.
राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल के डॉयरेक्टर डॉ. धीर का कहना है कि देश को साल 2033 तक हर साल 33 करोड़ टन दूध उत्पादन की जरूरत है. जबकि इस लक्ष्य के रास्ते में अभी कई ऐसी रुकावट हैं जिन्हें दूर करना जरूरी है. जैसे चारे की बढ़ती लागत, कम होती चारा खेती की जमीन, पशुओं में उभरती नई और पुरानी बीमारियां. ये कुछ ऐसी रुकावट हैं जो इस लक्ष्य को हासिल करने के बीच में रोड़ा बन रही हैं. दूध की उत्पादन लागत और मीथेन गैस उत्पादन को कम करने के लिए स्वदेशी दुधारू नस्लों की उत्पादकता बढ़ाना भी एक लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत जरूरी है.
डॉ. धीर का कहना है कि डेयरी एक्सपोर्ट बढ़ाने जैसे विषय पर बहुत ज्यादा गंभीरता के साथ काम किए जाने की जरूरत है. मौजूदा वक्त में भारत का दूध निर्यात करीब 2269 करोड़ रुपये का है, जो दुनिया के दूध उत्पाद निर्यात का केवल 2.6 फीसद मामूली सा हिस्सा है. फिर भी हमें अपने दूध उत्पादों की निर्यात क्षमता बढ़ाने के लिए और ज्यादा काम करने की जरूरत है, जो किसानों को उनकी इनकम बढ़ाने और अच्छा रिटर्न दिलाने के लिए बहुत खास है. गुणवत्ता में सुधार के अलावा हमारी निर्यात क्षमता को बढ़ाने के लिए भारतीय दूध निर्यात के लिए नए रास्ते तलाशने की भी जरूरत है.
मोटे तौर पर देखें तो कृषि क्षेत्र में डेयरी सेक्टर का योगदान 24 फीसद है, जिसकी वैल्यू करीब 10 लाख करोड़ रुपये है. और दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले ये सबसे ज्यादा है. अच्छी बात ये है कि एनडीआरआई इन मुद्दों को हल करने के लिए डेयरी के विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहा है. जैसे दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई पोषण रणनीति और बेहतर प्रजनन पद्धतियां, दूध की गुणवत्ता में सुधार के लिए नई पशुधन प्रबंधन पद्धतियां, स्वच्छ दूध पद्धतियां, मिलावट का पता लगाने वाली किट और कोल्ड चेन पद्धतियां जिससे निर्यात क्षमता में बढ़ोतरी हो.
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