25 पॉइंट में समझें खुरपका-मुंहपका (FMD) से जुड़ी सभी बातें, हो रहा है ये बड़ा काम 

25 पॉइंट में समझें खुरपका-मुंहपका (FMD) से जुड़ी सभी बातें, हो रहा है ये बड़ा काम 

एनीमल एक्स्पर्ट का कहना है कि खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) बीमारी की रोकथाम के लिए ये जरूरी है कि हमे उसके लक्षण पता हों. साथ ही उसके फैलने की वजह पता हों जिससे उन्हें कंट्रोल किया जा सके. साथ ही अगर किसी पशु को ये बीमारी हो जाए तो उस वक्त क्या करना चाहिए इस बात की जानकारी भी होना बहुत जरूरी है. तभी एफएमडी फ्री जोन बनाने में मदद मिलेगी. 

भैंस पालनभैंस पालन
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Sep 02, 2024,
  • Updated Sep 02, 2024, 12:39 PM IST

खुरपका-मुंहपका (FMD) बीमारी पशुओं की जानलेवा बीमारी है. ये बीमारी उन पशुओं को होती है जिनके खुर होते हैं और खुर के बीच में जगह होती है. पशुओं की इस बीमारी से आज हर एक देश परेशान है. कुछ ने इसे कंट्रोल कर लिया है तो कुछ कंट्रोल करने की कोशि‍श में लगे हुए हैं. भारत भी इसी तरह की तैयारी कर रहा है. एनिमल एक्सपर्ट की माने तो इस बीमारी के चलते पशुओं की मौत तो होती ही है, साथ में उनका उत्पादन भी घट जाता है. वैसे तो इसे कंट्रोल करने के लिए वैक्सीन बनी हैं, लेकिन कुछ छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखा जाए तो इसे फैलने से रोका जा सकता है. केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी विभाग भी इस संबंध में एडवाइजरी जारी कर चुका है. 

इसी तरह के कुछ उपाय अपनाकर बहुत सारे देश एफएमडी फ्री घोषित हो चुके हैं. क्योंकि अभी तक इस बीमारी के इलाज के नाम पर सिर्फ वैक्सीन है. हालांकि सरकार का मानना है कि एफएमडी के वैक्सीनेशन से सरकार का करोड़ों रुपया खर्च हो जाता है. क्योंकि ये वायरस से होने वाली बीमारी है तो इसके सक्रिय होने और फैलने का भी कोई तय वक्त नहीं है. इसी को देखते हुए केन्द्र सरकार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नौ राज्यों में एफएमडी फ्री जोन बनाने की तैयारी में लगी हुई है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये मिलेगा कि एफएमडी बीमारी के चलते मीट, डेयरी प्रोडक्ट‍ और मिल्क एक्सपोर्ट की बड़ी रुकावट दूर हो जाएगी. 

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किसी भी पशु में ऐसे पहचानें एफएमडी के लक्षण 

एनीमल एक्सपर्ट डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि एफएमडी दुधारू पशु गाय-भैंस, भेड़-बकरी में तो होती है साथ में घोड़े जैसे पशुओं में भी होती है. इसीलिए इसके लक्षणों की पहचान करना बहुत जरूरी है. क्योंकि जैसे ही आप लक्षण पहचान लेंगे तो उसे फैलने से रोकने के लिए जरूरी उपाय भी अपना लेंगे. 

  • पशु को 104 से 106 एफ तक तेज बुखार आएगा. 
  • एफएमडी पीडि़त पशु की भूख कम हो जाएगी. 
  • एफएमडी से पीडि़त पशु सुस्त रहने लगता है. 
  • पशु के मुंह से बहुत ज्यादा लार टपकना शुरू हो जाती है. 
  • मुंहपका हो जाते हैं अंदर और बाहर फफोले हो जाते हैं. 
  • खासतौर पर पशु के जीभ-मसूड़ों पर फफोले हो जाते हैं. 
  • पशु के पैर में खुर के बीच वाली जगह में घाव हो जाते हैं. 
  • अगर पशु गाभिन है तो उसका गर्भपात हो जाता है. 
  • पशु के थन में सूजन आने से दूध देने में परेशानी होती है.
  • एफएमडी पशु में बांझपन की बीमारी की वजह भी है. 

किसी भी पशु में ऐसे फैलता है एफएमडी     

  1. बरसात के दौरान दूषित चारा और दूषित पानी पीने से. 
  2. बरसात के दौरान खुले में चरने से भी फैलता है. 
  3. खुले में पड़ी सड़ी-गली चीजें खाने से भी होता है. 
  4. फार्म पर आने वाला नया पशु पीडि़त है तो उससे लग जाती है. 
  5. एफएमडी पीड़ित पशु के साथ रहने से हो जाती है. 

एफएमडी की रोकथाम के लिए अपनाएं ये उपाय 

डॉ. सज्जन सिंह का कहना है कि बहुत आसान तरीकों से पशुओं में एफएमडी की रोकथाम की जा सकती है. ये वो उपाय हैं जिसमे कोई पैसा भी खर्च नहीं होता है. 

पशु एफएमडी की चपेट में हो तो ऐसे करें उपचार 

  1. पीड़ित पशु को बाकी सभी हेल्दी पशुओं से अलग रखें. 
  2. मुंह के घावों को पोटेशियम परमैंगनेट से धोएं. 
  3. बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट बनाकर पशु के मुंह की सफाई करें. 
  4. खुर के घावों को पोटेशियम या बेकिंग सोडा से धोएं. 
  5. पशु के घावों पर कोई भी एंटीसेप्टिक क्रीम लगाते रहें.   
     

 

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