Red Sindhi Cow Dairy Farming: ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों का आज भी मुख्य बिजनेस फ़ार्मिंग और डेयरी बिजनेस है. वहीं डेयरी बिजनेस अब गांव के दायरे से निकलकर शहरों तक भी पहुंच गया है. अगर इस बिजनेस पर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो इसमें अच्छा-ख़ासा मुनाफा हो सकता है. ऐसे में यदि आप डेयरी बिजनेस से जुड़ कर बेहतर मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आप गाय की देसी नस्ल रेड सिंधी का पालन कर सकते हैं. रेड सिंधी गाय को लाल सिंधी गाय के नाम से भी जाना जाता है. गाय की इस देसी नस्ल को अधिक दूध देने वाली गाय के तौर पर भी जाना जाता है. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार रेड सिंधी नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 1840 लीटर तक दूध देती हैं.
वहीं रेड सिंधी गाय की उत्पत्ति बलूचिस्तान के बेला राज्य में पाए जाने वाले लास बेला मवेशियों से माना जाता है. हालांकि, मौजूदा वक्त में यह भारत के अलग-अलग राज्यों, जैसे- पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल में भी पाई जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं रेड सिंधी गाय की पहचान, कीमत और विशेषताएं-
• लाल सिंधी गाय का शरीर गहरे से हल्के लाल रंग का होता है.
• कुछ मवेशियों के माथे पर सफेद धब्बे भी दिखाई देते हैं.
• शरीर पर कोई बड़े सफेद धब्बे मौजूद नहीं होते हैं.
• बैलों के कंधों और जांघों पर रंग गहरा होता है.
• सींग आधार पर मोटे होते हैं और पार्श्व में उभरे हुए होते हैं और ऊपर की ओर मुड़े होते हैं.
• रेड सिंधी गाय की ऊंचाई लगभग 120 सेमी होती है.
• गाय की लंबाई 140 सेमी होता है.
• रेड सिंधी गाय का पालन दूध के लिए किया जाता है.
• बैलों का वजन 420 से 480 किलोग्राम होता है, जबकि गायों का वजन 320-340 किलोग्राम होता है.
• औसतन दूध देने की क्षमता प्रति ब्यान्त 1840 लीटर होती है.
• प्रति ब्यान्त न्यूनतम दूध देने की क्षमता 1100 लीटर और अधिकतम 2600 लीटर होता है.
• दूध में औसतन फैट यानी वसा की 4.5 प्रतिशत पाया जाता है.
• दूध में न्यूनतम 4 प्रतिशत फैट पाया जाता है, जबकि 5.2 प्रतिशत पाया जाता है.
• 3.5 से 4 वर्ष के बीच पहला ब्यान्त होता है.
• प्रतिदिन दूध 12 से 20 लीटर
रेड सिंधी गाय एक भारतीय नस्ल होने के अलावा अधिक दूध देने वाली नस्ल भी है. एक रेड सिंधी गाय की कीमत 20-80 हजार रुपये तक होती है. हालांकि, यह कीमत रेड सिंधी गाय की दूध देने की क्षमता, स्वास्थ्य, उम्र और स्थान पर निर्भर करता है.
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गाभिन पशुओं का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए. दरअसल, अच्छा प्रबंधन करने से अच्छे बछड़े होते हैं और दूध की मात्रा भी अधिक मिलती है. इसके अलावा बछड़े को सिफारिश किए गए टीके लगवाएं और रहने के लिए उचित आवास की व्यवस्था करें.
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