
Bachaur Cow Dairy Farming: बचौर बिहार की भारवाहक मवेशी नस्ल है. जोकि बिहार की एकमात्र पंजीकृत मवेशी नस्ल है. बचौर नस्ल को ‘भूटिया’ के नाम से भी जाना जाता है. यह नस्ल हरियाणा नस्ल की गायों से काफी मिलती जुलती है. वहीं बचौर नस्ल की गाय मुख्य तौर पर बिहार के दरभंगा, सीतामढ़ी और मधुबनी आदि जिलों में पायी जाती है. इस नस्ल के मवेशी कम चारे पर भी कुशलतापूर्वक कार्य करते हैं. इसके अलावा, मवेशियों का आमतौर पर रंग भूरा या सफेद होता है. सींग मध्यम आकार के और ठूंठदार होते हैं, जो बाहर की ओर, ऊपर की ओर और फिर नीचे की ओर मुड़े होते हैं. वहीं बैल बिना किसी रुकावट के लंबे समय तक काम कर सकते हैं.
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के अनुसार बचौर नस्ल की गायें एक ब्यान्त में औसतन 347 लीटर तक दूध देती हैं. जबकि, न्यूनतम 225 लीटर और अधिकतम 630 लीटर तक दूध देती हैं. इसके अलावा इस गाय के दूध में औसत वसा 5 प्रतिशत पाया जाता है. जबकि, न्यूनतम वसा 4.8 प्रतिशत और अधिकतम वसा 7.1 प्रतिशत पाया जाता है. ऐसे में आइए बचौर गाय की कीमत, पहचान और विशेषताएं जानते हैं-
• कमर सीधी, गर्दन छोटी, सुडौल कंधे, लटके हुए कान होते हैं.
• सींग छोटे और ठूंठदार होते हैं, जो बाहर, ऊपर और नीचे की ओर मुड़े होते हैं.
• पूंछ छोटी और मोटी होती है.
• शरीर का रंग भूरा या सफेद होता है.
• बैल का वजन 270 से 350 किलोग्राम, जबकि गाय का वजन 243 से 300 किलोग्राम
• बैल की ऊंचाई लगभग 118.38 सेमी, जबकि गाय की ऊंचाई 110.41 सेमी
• बैल की लंबाई लगभग 117.4 सेमी, जबकि गाय की लंबाई 109.79 सेमी
• औसततन 347 लीटर तक दूध देने की क्षमता
• न्यूनतम 225 लीटर और अधिकतम 630 लीटर तक दूध देने की क्षमता
• दूध में औसत 5 प्रतिशत वसा
• दूध में न्यूनतम वसा 4.8 प्रतिशत और अधिकतम वसा 7.1 प्रतिशत
बचौर गाय की कीमत दूध देने की क्षमता, स्थान, गाय की उम्र और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है. वहीं बिहार में बचौर गाय की कीमत 20 हजार से लेकर 40 हजार रुपये तक है.
इसे भी पढ़ें- Sahiwal Cow: हर रोज 50 लीटर दूध दे सकती है ये गाय, पाकिस्तान से है कनेक्शन
बचौर गाय को भी कई तरह के रोग और बीमारियां होती हैं जिनमें पाचन से संबंधित बीमारियों में सादी बदहजमी, तेजाबी बदहजमी, खारी बदहजमी, कब्ज, अफारे, मोक/मरोड़/खूनी दस्त और पीलिया आदि शामिल हैं. वहीं रोग में तिल्ली रोग (एंथ्रैक्स), एनाप्लाज़मोसिस, अनीमिया, मुंह-खुर रोग, निमोनिया, डायरिया, थनैला रोग, पैरों का गलना और दाद आदि शामिल है.
इसे भी पढ़ें-
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today