
Fish Care in Winter ठंड का मौसम इंसान ही नहीं मछलियों के लिए भी परेशानी लेकर आता है. ये बात सही है कि मछलियों हर वक्त पानी में रहती हैं, फिर भी पानी के चलते उन्हें कई तरह की परेशानी उठानी पड़ती हैं. अगर सर्दियों की बात करें तो ये मौसम कई तरह की बीमारियों के साथ ही आक्सीजन कम होने की परेशानी भी लेकर आता है. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो मछली ठंडे खून वाला जीव है, यही वजह है कि उसे सर्दियों के मौसम अलर्ट रहने की जरूरत होती है. इस मौसम में कम से कम सुबह-शाम पानी का तापमान चेक करते रहने की सलाह भी एक्सपर्ट देते हैं.
जिससे आक्सीजन का लेवल पता चलते रहे. गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनीमल साइंस यूनिवर्सिटी (Gadvasu), लुधियाना में फिशरीज डिपार्टमेंट की डीन डॉ. मीरा डी. अंसल का कहना है कि ठंड के मौसम में मछलियों को बीमारी से बचाने के लिए तालाब की साफ-सफाई, मछलियों के खानपान और तालाब के पानी को लेकर अलर्ट रहने की जरूरत होती है.
डीन डॉ. मीरा का कहना है कि सर्दियों के दौरान किसानों को तालाब के पानी की गहराई छह फीट तक रखनी चाहिए. जिससे मछलियों को गर्म वातावरण में रहने के लिए ज्यादा जगह मिल सकेगी. इतना ही नहीं तालाब के नीचे के हिस्सेम और सतह के पानी को गर्म रखने के लिए शाम के समय ट्यूबवेल का पानी तालाब में जरूरत मिलाएं. खासकर जब तालाब के पानी का तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे हो. और एक खास बात ये कि अगर तालाब के आसपास पेड़ हों तो सर्दियों के दौरान उन्हें काट दें. ऐसा इसलिए किया जाता है जिससे सीधी धूप तालाब पर पड़ सके और पत्तियां भी तालाब में न गिरें. पत्ती गिरने से पानी की गुणवत्ता खराब हो सकती है.
डॉ. मीरा ने बताया कि सर्दियों के दिन एक तो छोटे होते हैं और ऊपर से उस दौरान सूरज की रोशनी भी इतनी नहीं आती है जितनी गर्मियों में आती है. यही वजह है कि खराब रोशनी की वजह से तालाब के पानी में आक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है. लगातार बादल छाए रहने से तो हालात और भी खराब हो जाती है. इसलिए ऐसे वक्त में मछली पालकों का काम थोड़ा बढ़ जाता है.
ऐसे में तालाब में आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए पम्प का ताजा पानी तालाब में मिला दें या फिर तालाब में एरेटर का इस्तेमाल करें. सुबह के वक्त एरेटर का इस्तेपमाल जरूर करें. सर्दियों में लगातार बादल छाए रहने के दौरान पानी में पीएच की स्तर की भी नियमित निगरानी करनी चाहिए. अगर तालाब के पानी का पीएच 7.0 से नीचे चला जाए तो फौरन ही दो किश्तों में 100 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से तालाब में चूना डाल दें.
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